तरुवर नाचे पुष्प खिले हैं
टिप टिप, रिम झिम वर्षा अाई
बदरी रंग बिरंगी उड़ती
पवन संग, दुल्हन बन छाई
मोर नाचते दादुर बोले
कोयल कूके पक्षी कूजें
ताल सरीखे इत उत पानी
टर्र टांय मेंढ़क - मनमानी
उछलें कूदें बालक पानी
हहर हहर मन प्रिय प्रियतम के
बन बादल बदली उड़ मिलते
लगे गले मुख चूम रहे हैं
सपने खोए झूम रहे हैं
सपने सच तो कहीं विरह है
बरस रहे कुछ भेज रहे हैं
नेह निमंत्रण हिय जी भर भर
कजरारे नैनन की चितवन
लाली लाल गुलाब चमन कुछ
मदमाते बौराती कुछ भी
तेज गति छनकाती पायल
आसमान उड़ खेल रहे हैं
खेल रहे बस खेल रहे हैं....
पुनः.....
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५