BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Friday, March 25, 2022

विरहिन


बगिया में कोयल कूके
मन ना भाए
मोरे साजन न आए

लाल लाल फूल खिले
जिया को जलाए
बदरंग होली अगुन लगाए

सूख गई बाली बाली
तपन बढ़ी उर
सजना से ही हरियाली

जेठ दुपहरी सूना आंगन
जेठ न भाए
साजन बस नैना तरसाए

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5


 ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Wednesday, March 23, 2022

गौरैया


गौरैया
.....

.....
सुबह सवेरे नित्य ही
उठ मैं दाना डालूं
चीं चीँ चूं चूं बोल बोल के
गौरैया को पा _ लूं
खंजन मैना तोता आते
अपने सुर में गाते

मेरे फूलों की बगिया में
फुर्र फुर्र धूम मचाते
कनइल गेंदा औ गुलाब है



गुड़हल नौ बजवा से खेलें
कभी कतर ले जाते इनको
थोड़ा दुख भी देते
धीरे धीरे चुपके छुप के
इनके पास खड़ा हो जाऊं
प्यारी मीठी बोली सुन सुन
सच कहता मैं खुश हो जाऊं
फुर्र उड़ें जब ये पंछी तो
मन कहता मैं भी उड़ जाऊं
बिन बंधन स्वच्छंद उड़ूं मैं
गगन नदी सागर छू आऊं
आओ प्यारे तुम भी जागो
सुबह सवेरे इन संग खेलो
तांबे का सूरज नित देखो


प्राण वायु छाती में भर लो
योग ध्यान की मुद्रा में भी
बैठो देखो सुख पाओगे
बूढ़े बच्चे युवा वर्ग सब
ये मौका मत जाना चूक
हाथ से तोता उड़ जायेगा
बुल बुल फुर्र बड़ी फिर भूल
हरियाली आंखों को भाती
दिव्य रोशनी मस्तक जाती
ज्ञान चक्षु पुट खिल जाते हैं
याददाश्त फिर घर कर जाती
कौआ और कबूतर सब अब
हिम्मत कर साथ बैठते हैं
प्रेम से डर भी भाग गया है
सोन चिरैया कहती है।
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5
प्रतापगढ़ , उत्तर प्रदेश
भारत। 23.03.2022


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Friday, March 18, 2022

सरयू तट राम खेलें होली सरयू तट


सरयू तट राम खेलें होरी सरयू तट
सिया राम की है अनुपम जोड़ी, सरयू तट

कनक भवन में रंग है बरसे
मात पिता परिजन हिय हुलसे.. सरयू तट

सजे बजे प्रभु राम हैं निकले
ले हुलियारों की टोली ..सरयू तट
उछल कूद चहुं धूम मची हैं
अंगनाई घर उड़त अवीरा ..सरयू तट
गावत फाग मृदंग मजीरा
खींचत राम लखन सब वीरा ..सरयू तट
लालायित दर्शन हर मन घर
मिलत गले हंसि हंसि रघुवीरा..सरयू तट
बाल सखा सब रंग डारे हैं
महल गली सब भीरा अवध , सरयू तट

गुझिया कचोड़ी भरी सीता रसोई
आवा आवा सखी सीता लई आई, सरयू तट
सिया राम संग होली खेलब
भरि भरि फूल गुलाब बाड़ी, सरयू तट


कारे मुख वाले बंदरा भी राम को भाएं
चला घूमि आई सब हनुमान गढ़ी , सरयू तट

श्री राम के हाथ कनक पिचकारी
सीता दुलहीन के हाथ अबीरा , सरयू तट
लहर उठे हिय हुलस रहे सब
खुशी साजन तो नाचें सजनिया, सरयू तट
बरसहि सुमन गगन हैं ठाढ़े
देवी देवतन रूद्र मंडलियां , सरयू तट
ढोलक थाप से गूंजा अवध है
डूबे नैनन में सब रघुवीरा सरयू तट

सरयू तट राम खेलें होरी सरयू तट
सिया राम की है अनुपम जोड़ी, सरयू तट

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5
प्रतापगढ़ अवध
उत्तर प्रदेश , भारत

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Thursday, March 17, 2022

डूब रही मैं हर नैनन में , श्याम तो बहुत सतावें


जित देखूं तित राधा दिखती
पाछे दौड़त श्याम
रंग गुलाल में सराबोर है
छवि नैना अभिराम
हम सब को सम्मोहन से 
मन मोहन जरा बचा ले..
हर मीरा से श्याम मिला के
अंग से अंग खिला दे
होली शरा ररा .....



गली गली में शोर बहुत है
ढोल थाप मंजीरा 
थिरकत ग्वालन ग्वाल नचावत
सुध बुध बिसरी मीरा
राधा को सम्मोहन से 
हे! मोहन जरा बचा ले..
मुरली धर धर होंठ पे उंगली 
अंग से अंग खिला दे
होली शरा ररा .....


छनन मनन पग घुंघरू पायल
फाग पे मीठी गारी
बुढ़ऊ सब के जोश है जागल
खुश ज्यों देवर भाभी
विरहिन से है जेठ तड़पता
परदेशी बादल बन छा जा..
जेठ दुपहरी ले ले छाया
अंग से अंग खिला दे
होली शरा ररा .....



भंग का रंग चढ़ा री सिर पर
श्याम नजर सब आवें
डूब रही मैं हर नैनन में
श्याम तो बहुत सतावें
राधा को सम्मोहन से 
कोई मोहन जरा बचा ले..
बदले में कुछ ठंडाई ले
अंग से अंग खिला दे
होली शरा ररा .....
  

कुंजन गलियां बाग में भौंरे
कली खिली बस तड़पें
अमराई बौरायी चहुं दिसि
मादक गंध ले बिहरें
मोहन को सम्मोहन से 
कोई गोरी जरा बचा ले..
बदले में कुछ रस गुझिया ले
अंग से अंग खिला दे
होली शरा ररा .....
  

लाल  हरी तो पीली नीली 
रंग रंगीली अजब सजीली
कान्हा भटकें राधा अपनी
राधा नैनन हर में दिखती

मोहन को सम्मोहन से 
कोई गोरी जरा बचा ले..
बदले में कुछ रस गुझिया ले
अंग से अंग खिला दे
होली शरा ररा .....
  
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5
प्रतापगढ़ 
उत्तर प्रदेश
17.03.2022



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Wednesday, March 16, 2022

मादक सी गंध है होली के रंग लिए

गांव की गोरी ने लूट लिया तन मन
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आम्र मंजरी बौराए तन देख देख के
बौराया मेरा निश्च्छल मन
फूटा अंकुर कोंपल फूटी
टूटे तारों से झंकृत हो आया फिर से मन
कोयल कूकी बुलबुल झूली
सरसों फूली मधुवन महका मेरा मन
छुयी मुई सी नशा नैन का 
यादों वादों का झूला वो फूला मन
हंसती और लजाती छुपती बदली जैसी
सोच बसंती सिहर उठे है कोमल मन
लगता कोई जोह रही विरहन है बादल को
पथराई आंखे हैं चातक सी ले चितवन
फूट पड़े गीत कोई अधरों पे कोई छुवन
कलियों से खेल खेल पुलकित हो आज भ्रमर
मादक सी गंध है होली के रंग लिए
कान्हा को खींच रही प्यार पगी ग्वालन
पीपल है पनघट है घुंघरू की छमछम से
गांव की गोरी ने लूट लिया तन मन
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http://surendrashuklabhramar.blogspot.com/2021/03/blog-post.html?m=1
सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश भारत


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Tuesday, March 1, 2022

हर हर महादेव, महाशिव रात्रि


*भगवान भोलेनाथ की जय हो*
हर हर महादेव, हर हर महादेव, बम बम भोले।

*भगवान शंकर से हमें सीखना चाहिए*
कि जीवन का सार क्या है ?
*भगवान शंकर ही मात्र एक देवता हैं जो परिवार के साथ पूजे जाते हैं*
*भगवान शंकर के परिवार को देखकर हमे सीखना चाहिए कि घर समाज  में विष भी होता है और अमृत भी, क्रोध भी होता है और क्षमा भी , प्रेम भी होता है और स्वाभिमान भी होता है, अनुशासन भी होता है, और परिवार से ही संस्कार मिलता है उन सब के बीच सन्तुलन बनाने से ही परिवार चलता है*
*भगवान शंकर स्वर्ण आभूषण नहीं धारण करते, मृगछाला धारण कर उनकी अर्धनग्न अवस्था ये दर्शाती है कि परिवार के मुखिया को वस्र खान पान का सुख त्याग करने के लिए तैयार रहना  चाहिए*
परिवार त्याग, समर्पण, सदभाव, एक दूसरे के लिए त्याग, से चलता है 
*लालच, स्वार्थ, जरूरत से ज्यादा स्वाभिमान परिवार में कलह के कारण बनते हैं* 
भगवान शंकर हम सब का भला करें , भगवान शंकर की तरह हमारा और आप सब का परिवार भी नाम व यश पाए यही प्रभु भोले बाबा से कामना करता हूँ
*हर हर महादेव*
*महाशिवरात्रि की आप सपरिवार को हम सपरिवार की तरफ से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई*
महामृत्युंजय मंत्र के प्रभाव से हर तरह का डर और तनाव खत्म हो जाता है। शिवपुराण में उल्लेख किए गए इस मंत्र के जप से आदि शंकराचार्य को भी जीवन की प्राप्ति हुई थी। ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत।
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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं