BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Saturday, January 1, 2022

शुभ सब होगा नए वर्ष में

घना कुहासा जो घेरे था आज रोशनी थी कुछ आई नन्ही नन्ही मोती माला जैसे सूरज को पहनाई इंद्र धनुष सी छटा बिखेरे आसमान था रचा स्वयंवर कभी सेहरे दूल्हा दिखता दुल्हन चूनर ओढ़े अंबर मिले गले क्रीड़ा कुछ करते खेल खेल हर रंग भरे प्रेमामृत घट छलक रहे थे नेह अनूठे पोस रहे निशा सजाए सेज पुष्प से स्वागत को तैयार दिखी कुछ ज्यों नूतन होने वाला होंठों हर मुस्कान खिली स्वर्ण रश्मियां कल छू लेंगी नैनों के रस्ते उतरे हर दिल में झंकार उठेगी बो देंगी कुछ बीज प्रेम के सींचें पोषेंगे हम वर्षों काटेंगे हम फसल प्रेम की फूल खिलेंगे चहकें चिड़ियां खुशियां नाचेंगी अंगनाई उड़ेगी फिर अब सोन चिरैया कैद नहीं पिंजड़ों में होगी नदी दूध की, गंगा मैया स्नेह सिक्त घट घट में होंगी। शुभ सब होगा नए वर्ष में सपने सबके होंगे पूरे हर हाथों को काम मिलेंगे भाग्य भी बदलें हस्त लकीरें। स्वागतम 2022 सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5 ब्लागर, कवि एवं लेखक प्रतापगढ़ , उत्तर प्रदेश भारत दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं