BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Friday, June 12, 2020

ख्वाबों में वो रचे घरौंदे
कितने, मटियामेट हुए,
आंसू की कुछ थाह नहीं है,
स्नेह पुष्प नासूर बने,
गली गली जब एक सा रोना
हृदय सांत्वना देता है ,
रिसते रिश्ते घाव मौन है
शूली भी चढ़ लेता है



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं