BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Sunday, October 31, 2021

धन्यवाद हे प्रभु तुम्हे है

धन्यवाद हे प्रभु तुम्हे है मानव कर सब दिया खजाना। तू ही जाने क्यों भेजा है मुझको तो बस करते जाना **** धन्यवाद अम्मा बाबू का मिट्टी से सच घड़ा बनाया लाखों कष्ट सहे होंगे पर सच्चरित्र गुण सभी सिखाया ****** प्रथम गुरु संग सभी गुरु का धन्यवाद करते ना थकता अज्ञानी मैं मूढ़ बड़ा था प्रभु रहस्य आनंदित रहता ******* धन्यवाद सब जीव जगत हे! प्रकृति गोद सब मिल कर खेले खुशी खुशी कल पंच तत्व में कुछ रहस्य दे के फिर ले ले ****** धन्यवाद सब सखा सहेली मूक क्या वरने गुड़ की भेली तरु पादप हम प्रभु ही माली भूमंडल बस एक पहेली ***** धन्यवाद है मां शारद की ज्योति जगत फलदाई देखा चातक सी बस प्यास ज्योति की कर्म प्रबल पर मिटे न रेखा ***** आओ खेलें झूमें बोलें सीखे उनसे हैं प्रभु मूरत घृणा क्रोध ईर्ष्या से बच लें खो जाएं हम प्रभु की सूरत। ****** सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5 प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश भारत। 1.11.2021 दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Saturday, October 30, 2021

लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल

मित्रों एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना के साथ हमारे देश को एकता के सूत्र में बांध देने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जयंती आज देश भर में मनाई जा रही है , उन्हे हम सब की तरफ से शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि। सरदार पटेल जी का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था। वे खेड़ा जिले के कारमसद में रहने वाले झावेर भाई और लाडबा पटेल की चौथी संतान थे। 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वल्लभ भाई की शादी झबेरबा से हुई थी। पटेल जब सिर्फ 33 साल के थे, तब उनकी पत्नी का निधन हो गया था। अध्यापक छात्रों को पुस्तकें बेंचते थे इसका उन्होंने विरोध किया और ये प्रथा खत्म हुई। 1918 में सूखा पड़ने पर किसानों के कर राहत के लिए उन्होंने संघर्ष किया अंग्रेजों से, इस आंदोलन की अगुवाई की। देश की स्वतंत्रता के पश्चात सरदार पटेल उपप्रधानमंत्री के साथ प्रथम गृह, सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री भी थे। सरदार पटेल के निधन के 41 वर्ष बाद 1991 में उन्हे भारत का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान भारतरत्न दिया गया। आर्थिक तंगी के कारण उनकी पढ़ाई में बहुत समय लगा था 22 वर्ष में 10वीं पास कर पाए थे , वकील बनने के लिए महाविद्यालय में प्रवेश नहीं ले पाए तो एक परिचित वकील से किताबें ले कर व्यक्तिगत रूप से पढ़ाई की , इंग्‍लैंड में वकालत पढ़ने के बाद भी उनका ध्यान केवल पैसा कमाने की तरफ नहीं गया। सरदार पटेल 1913 में भारत लौटे और अहमदाबाद में अपनी वकालत शुरू की। जल्द ही वे लोकप्रिय हो गए। अपने मित्रों के कहने पर पटेल ने 1917 में अहमदाबाद के सैनिटेशन कमिश्नर का चुनाव लड़ा और उसमें उन्हें जीत भी हासिल हुई। गांधी जी की इच्छा के कारण वे प्रधानमंत्री नही बने और नेहरू जी को अवसर दिया गृहमंत्री के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता देसी रियासतों (राज्यों) को भारत में मिलाना था। इस काम को उन्होंने बखूबी निभाया। भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान के लिए उन्हे भारत का 'लौहपुरुष' के रूप में जाना जाता है। सरदार पटेल की महानतम देन थी 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना। उनकी याद को अविस्मरणीय और जीवंत रखने हेतु गुजरात में नर्मदा के सरदार सरोवर बांध के सामने उनकी 182 मीटर ऊंची भव्य लौह प्रतिमा का निर्माण किया गया है।
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Tuesday, October 19, 2021

पक्षियों की सहायता करें

कभी कभी इन पक्षियों और बेजुबानों को भी हमारी आप की जरूरत पड़ती है , जब ये बीमार हों , लड़ भिड़ के आए हों घायल हो के तब। पिछली बार ऐसे दो मेहमान आए थे दो रात यहां घर में पड़ाव डाले फिर उड़ गए। इस बार ये काफी बीमार है पेट इनका बहुत खराब है और एक पैर भी लोड नही ले पा रहा आगे चोंच के बल लुढ़क जा रहे । एक रात तो यहां गुजर गई। देखो क्या होगा। प्रभु कृपा हो। राधे राधे। दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Saturday, October 9, 2021

उठा पटक बस टांग खींच ले




तुमने सोचा उड़ लेता हूं
ऊंचे ऊंचे हूं आकाश मेंr
ऊंचे उड़ते बहुत जीव हैं
सगे संबंधी हूं प्रकाश में
......
नही जानते कुछ ऐसे भी
घात लगाए बस उड़ान में
जितना भी मजबूत घोंसला
घात लगाए सदा ताक में
.......
पंख का ऊपर नीचे होना
चारे का धरती पर होना
मत भूलो उड़ उड़ कर जीना
पल छिन का कमजोर खिलौना
.......
छापामार लड़ाई अब तो
फन में माहिर कई गोरिल्ला
शंख बजे ना नियम ताक पे
ना अंधियारा लाल न पीला
..........
उठा पटक बस टांग खींच ले
चित चाहे जैसे भी कर दो
लोग हजारों साथ हैं तेरे
जब चाहो तब दंगल जीतो
.......
सच्चाई भी दब जाती है
भीड़ की मार बहुत जालिम है
झूंठ चिढ़ाते मुंह घूमे फिर
शान्ति द्रौपदी की मानिंद है
.......
सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश 
भारत।



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Wednesday, October 6, 2021

मां शैल पुत्री











*नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं*
*माँ भगवती आप सब की सारी मनोकामना पूर्ण करें* 
*माँ दुर्गा से मेरी प्रार्थना है कि ...*
*आप सब को सदा खुश रखें, सभी  स्वस्थ, धन, वैभव लाभ करें  मां की ममता , प्रेम , शौर्य से सभी समृद्धिशाली बनें, और आप सब प्रतिदिन नित नई सफलता की नई कहानी लिखें*
*जय माता दी*
*शुभ प्रभात*
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, देवी का शैलपुत्री नाम हिमालय के यहां जन्म होने से पड़ा। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। इनकी पूजन विधि कुछ इस प्रकार है।

1)मां की पूजन विधि

सबसे पहले चौकी पर माता शैलपुत्री की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी प

र चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें। इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां शैलपुत्री सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दूर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।  

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्राद्र्वकृतशेखराम्। वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥

अर्थ- देवी वृषभ पर विराजित हैं। शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है। यही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा है। नवरात्रि के प्रथम दिन देवी उपासना के अंतर्गत शैलपुत्री का पूजन करना चाहिए।

नवरात्र के 9 दिन भक्ति और साधना के लिए बहुत ही पवित्र माने गए हैं। इसके पहले दिन शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है। शैलपुत्री हिमालय राज की पुत्री हैं। हिमालय पर्वतों का राजा है। वह अडिग है, उसे कोई हिला नहीं सकता। जब हम भक्ति का रास्ता चुनते हैं तो हमारे मन में भी भगवान के लिए इसी तरह का अडिग विश्वास होना चाहिए, तभी हम अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। यही कारण है कि नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
नित्य कवच , कीलक, अर्गला श्रोत का पाठ करें दुर्गा सप्तशती का विधिवत पाठ कर मां  का ध्यान करें।
...............
सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश भारत।
🙏🙏🙏🙏🙏

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Tuesday, October 5, 2021

हिंसा का औचित्य कहां अब


हिंसा का औचित्य कहां अब
सन्मुख बैठो बात करो
उठा तिरंगा शांति दूत बन
पीछे ना आघात करो
.....
राज तंत्र से मन खट्टा जो
न्याय तंत्र विश्वास करो
काले गोरे नहीं लड़ाई
अपने सब तुम ध्यान रखो
........
कट्टरता आतंक है खांई
खोल आंख पहचान करो
तेरा मेरा घर ना भाई
काल अग्नि सम ध्यान धरो
.........
दंभ वीरता का ना भरना
उनकी मां भी वीर जनी हैं
अस्त्र शस्त्र सब राख ही होना
दावानल की नही कमी है
.......
सागर है उस पार नहीं कुछ
भ्रम मत पालो बढ़े चलो
कुछ मांझी तैराक बहुत हैं
साथ चलो कुछ मोती ढूंढो
.........
दीवाली का दिया जलाओ
घर आंगन कुटिया रहने दो
दर्द दिए मां नही रुलाओ
अश्रु प्रलय से जग बचने दो
.........
सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश 
भारत। 5.10.2021



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Sunday, October 3, 2021

विश्व प्रकृति दिवस, आओ पेड़ लगाएं

मेरे प्यारे मित्रों आज विश्व प्रकृति दिवस है, प्रकृति है तो हम हैं , प्रकृति की गोद में ही हम फलते फूलते हैं जीते हैं खेलते हैं सीखते हैं विकास करते हैं इस लिए अपनी मां जननी सरीखी इस प्रकृति के लिए सदा हम कुछ करते रहें हरे भरे पेड़ पौधे फूल घाटियां पर्वत झरने चिड़िया जानवर तरह तरह के जीव और प्यारे बच्चे किस का मन नहीं मोह लेते लेकिन जब हम अपने को बहुत ज्ञानी ध्यानी मान प्रकृति और पर्यावरण को दरकिनार कर स्वार्थ वश विध्वंशक चीजों को अपना कर केवल धन कमाने में लगे रहते हैं और प्रकृति की उपेक्षा करते हैं पेड़ पौधे काट डालते हैं तालाब को पाट रहे नदियों को समेट कर वहां घर बना रहे पर्वतों के आधार को अनायास हर तरफ काटे जा रहे तो विभीषिका भी हमारे सामने आती है और हम इंसान इतने ताकतवर हो भी प्रकृति की मार के आगे एक पल नही ठहरते आइए पेड़ लगाएं , सब को तो अपने पास ये अवसर नहीं होगा तो जहां भी अवसर मिले पार्क स्कूल सड़क आदि के पास ही सही , पेड़ लगाएं लगवाएं और यथा संभव उसे बड़े होने तक देख रेख में भी सहयोग देते रहें । 
फिर देखिए अपनी प्रकृति का प्रेम ।
शुभ प्रभात प्रभु कृपा सब पर बनी रहे।

सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़
उत्तर प्रदेश , भारत।



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं