BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Saturday, August 1, 2020

एक नज़र तिरछे नैनन से


सुबह सवेरे
मन बगियन मा
झर झर फूल
खिलाय गयीं

एक नज़र
तिरछे नैनन से
लिख पतियां
हर्षाय गयीं

ठौर ठांव ना
हिय की कैसे
इन नैनन की
उन तक मै पहुंचाऊं

हृदय पुष्प में
भ्रमर फंसा अब
अंतः सुख उनको भी शायद
समझूं मन समझाऊं



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५