सुबह सवेरे
मन बगियन मा
झर झर फूल
खिलाय गयीं
एक नज़र
तिरछे नैनन से
लिख पतियां
हर्षाय गयीं
ठौर ठांव ना
हिय की कैसे
इन नैनन की
उन तक मै पहुंचाऊं
हृदय पुष्प में
भ्रमर फंसा अब
अंतः सुख उनको भी शायद
समझूं मन समझाऊं
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५