BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Saturday, August 1, 2020

साफ होगी हवा कल बनेगी दवा


ग़म की बदली जो छाई है टल जाएगी
वो सुहानी किरण आज फिर आएगी
हम न हारे कभी आज फिर जीतेंगे
नेत्र अब हैं खुले हौसले सब मिले
साफ होगी हवा कल बनेगी दवा
रोग ताकत पे अपनी ठहरते कहां
हैं प्रभु बन के उतरे चिकित्सक यहां
लहरेगा फिर तिरंगा और देखे जहां ।
7.40 7.59 पूर्वाह्न
15 जुलाई 20
लखनऊ


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५