BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Saturday, August 1, 2020

भ्रमर का है दूर गुंजन


न जाने क्या हुआ इस गुल गुलिस्तां में
कलियां बन सयानी खूब पर्दा कर रही हैं
चमन है खूबसूरत हैं नजारे बागवां के
भ्रमर का है दूर गुंजन जाने क्या इसमें कमी है
शोखियां हैं जाम है जन्नत सभी कुछ
दूरियां मुंह खोल खाने को खड़ी हैं
भोर पर बरपा कुहासा निशा उजली है खड़ी
तार ढीले शिथिल वीणा गीत झंकृत कुछ नहीं
बेबसी ही बेबसी चेहरा मरुस्थल सा हुआ
नैन नम हैं आंसू गायब पलकें कांटे सी बिछी हैं
खोजता हूं नींद आए ख्वाब आ आ के सुला दें
आती परियां आसमां से गहरे सागर में डुबातीं
हौसला है हंस जैसा मोती चुगने मै बढ़ा
ज्वार भाटा रेत साने फेंक देते दे पटखनी
11.30 P M-12.12 A M




दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५