BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Saturday, May 22, 2021

कोरोना के काल को

कोरोना के काल को, 
झूंठलाए जो लोग।
खुद शिकार वो हो गए ,
 और बढ़ाए रोग।।

दो गज दस मीटर बना, 
मास्क बना अनिवार्य,
आफिस घर बाहर सभी,
पहन करो सब कार्य।।

अगर भीड़ हो, संशय कुछ हो,
कहीं संक्रमित, टहल गया हो,
शरमाओ ना मास्क,पहन लो,
गली मोहल्ला, अपना घर हो।।

गले मि लो ना ,
ना हाथ मिलाओ,
छूना कुछ हो , 
सैनिटाइजर  हाथ लगाओ ।

आंख नाक जो छूना ही हो,  
 साबुन से तुम हाथ मलो।
हाथ छुवो ना, हाथ बढ़ाओ
कठिन समय, पग चलो जमाओ।

ठंडा पानी पेय नहीं लो
काढ़ा भाप गर्म पानी लो
अदरक तुलसी या गिलोय हो
दवा सुझाई गई मात्र लो

फंगस व्हाइट ब्लैक कोई भी
पहचानो आहट खतरे की
अस्पताल भागो जाओ 
देरी ना हो दवा कराओ

नाक बंद हो चेहरे सूजन
आंख दर्द या धुंधलापन हो
फंगस के हैं सारे लक्षण
दांत हिले या दर्द दांत हो 

अगर शुगर या रोग पुराना
स्टेरायड खुद ना खाना
डाक्टर से ही दवा लिखाना
सब को भाई रोज सिखाना

बहुरूपिया अदृश्य कोरोना
भूल करो ना पीछे रोना
भोले भाले को समझाना
अपना ही दायित्व समझना

श्मशान नदियों के तट से
दूर रहो है वायु प्रदूषित
आंधी चिड़ियां मरे जानवर
जलजमाव बहुतेरे दूषित

प्राणायाम योग कसरत से
आओ चुस्त दुरुस्त बनें 
प्रोन पोजिशन लेट लेट के
ऑक्सिजन भरपूर भरें

रखें हौंसला ना घबराएं
जंग जीत कर हम मुस्काएं
झंझावात महामारी को
सब मिल आओ दूर भगाएं
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5 , प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत।




दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Saturday, May 15, 2021

आज चांद शरमाया कुछ है

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आज चांद शरमाया कुछ है
गोरी चंदा छुपी निहार
हिय हुलसे कब साजन झांकें
मन खटके दौड़े बस द्वार
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Wednesday, May 12, 2021

कोरोना है डरा रहा

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कोरोना है डरा रहा, 
चुन चुन करे शिकार
आंख बन्द माने नहीं , 
शामिल हुए हजार।
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कोरोना से मत डरो,
 अपनाओ सब ढाल
हृष्ट पुष्ट ताकत रखो,
कर लो प्राणायाम,
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काढ़ा भाप गर्म पानी लो,
घर में करो आराम,
मास्क सैनिटाइजर ना भूलो,
बाहर गर हो काम
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अदरक तुलसी मिर्च हो काली, 
लौंगा और गिलोय
नीबू सेंधा नमक प्याज भी,
घर में करो प्रयोग
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रूप प्रभु के यहां चिकित्सक
लो सलाह भरपूर
जो बोलें तुम करो दवाई
खा लो थोड़ा धूप
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कुछ कपूर हो लौंग साथ में,
कभी कभी लो सूंघ
प्रोन पोजिशन लेट सांस लो,
ऑक्सिजन भरपूर।
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प्रात उठो टहलो बस घर में
योग ध्यान कसरत कुछ कर लो,
पौधों फूलों से कुछ खेलो
प्यार करो हंस लो मुस्का लो।
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आंधी आए कुछ फल गिरते
बचते फिर मजबूत
आओ बांटें व्यथा सभी की,
हृदय बचे ना कोई शूल।
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश
भारत


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं