BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Friday, November 25, 2011

चला भिखारी – जंगल में

चला भिखारी – जंगल में
——————————-
हे बादल तू भर भर कर जल
घूमे ललचाये चढ़ के आकाश
पाया तो धरती सागर से
क्या भूला – अहम भरा मन में ?
है तप्त मरुस्थल धरती ये
बूंदे बरसा हरियाली दे
हे अम्बुद-अम्बुज- सर-सा दे
मन खिल जाए
तो आनंद और आये
पूजा तेरी हो जाए
——————————–
इतना धन छाती में भर के
गर्वोन्नत -पर्वत खड़ा हुआ
कुछ नीचे क्षुद्र जीव भी हैं
हैं ताक रहे सिर उठा उठा
या समझा सूखा रूखा मै
तन मिटटी पत्थर भरा हुआ
या गड़ी सम्पदा जल जो है
शीतलता – हरियाली तुझमे
झरना बन थोडा फूट पड़े
तू तृप्त करे जो जले यहाँ
तो आनंद और आये
जो काम किसी के तू आये
गोवर्धन – बन पूजा जाए !
——————————
हम छोड़ रौशनी सभी जगत
सब गिरा कन्दरा हैं आये
अंधियारे जंगल वास करें
कुछ भूख मिटे ये मन चाहे




देखा चूहों का पेट भरे
कुछ  बचा  खुचा  चौपाये  खाएं 
कुछ लूट पाट कर घर भर लें
कुछ सड़े - बचे में आग लगाएं
हम लिए कटोरा जग भटके
ना भरा ये अब रोते -आये
फल वृक्ष लदा जो तू गिरकर
इंसानों की अब भूख मिटाए
तो आनन्द और आये
कल्पवृक्ष बने तू – तरुवर हे !
जन- मानस में पूजा जाए !!
————————————–
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल ‘भ्रमर “५
१८.११.२०११
७.५०-८.१५ पूर्वाह्न यच पी




दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

9 comments:

  1. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...शब्दों और भावों का बहुत सुंदर संयोजन...

    ReplyDelete
  2. आदरणीय कैलाश जी रचना आप के मन को छू सकी लिखना सार्थक रहा
    आभार
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  3. अवन्ती सिंह जी अभिवादन और अभिनन्दन आप का भ्रमर का दर्द और दर्पण में -कृपया अपना अमूल्य सुझाव भी देती रहें
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति ....समय मिले कभी तो आयेगा मृ पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/

    ReplyDelete
  5. Bahut sumder rachna saaath me utne hi sunder bhav

    ReplyDelete
  6. shandar prastuti..hardik badhayee aaur amantran ke sath

    ReplyDelete
  7. प्रिय पल्लवी जी अभिवादन ..रचना के भाव और मर्म आप के मन को छू सके हर्ष हुआ
    आभार
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  8. प्रिय अमरेन्द्र अमर जी अभिवादन ..रचना के भाव आज के हालत आप ने देखे ..लिखना सार्थक रहा
    आभार
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  9. प्रिय डॉ आशुतोष मिश्र जी अभिवादन ..रचना की प्रस्तुति अच्छी रही सुन हर्ष हुआ ..अपना प्रोत्साहन बनाये रखें
    आभार
    भ्रमर ५

    ReplyDelete

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५