होली - मुरली की हर तान सुनाये -नाच दिखाए ना बच पाए श्याम ..
मुरली की हर तान -२ सुनाये -नाच दिखाए ना बच पाए श्याम
बड़ा अजूबा लगता प्यारा -क्यों हारा -जसुदा मैया का दुलारा
सजा हुआ- हम तक ना पंहुचा -फंसा जाल में- क्यों ना हमें पुकारा
दही बड़ा पकवान मिठाई सूख रहा ,गायों ने ना दूध दिया
अभी रहो चुप -पिचकारी ना दबे जरा -क्या देखे आँखें मूँद लिया
लचकन कैसी -२ कमर की देखो -हाथ में कैसी चूड़ी
पकड़ कलाई ली राधा की -देखो सीना जोरी
चलो गुइयाँ देखन को होरी
आज -२ राधा ने की बरजोरी -चलो गुइयाँ देखन को होरी
फाग खेलता लगे कबड्डी-रंगा जमीं को साराकभी लिपटता आँखें मलता -राधा के संग –अरे !! फिसलता जाता
श्याम रंग के बदरा विच -ज्यों -दामिनी दमके- दांत चमकता सारा
कमल खिला ज्यों –इन्द्रधनुष- मुख मंडल शोभे- चमके आँख का तारा
देख करे क्या 2 -आज पकड़ेंगे -हम भी चोरी
नशा चढ़ा क्या -२- बैठे ताके -भौंरा जैसे गुपचुप झांके
आज -२ राधा ने की बरजोरी -चलो गुइयाँ देखन को होरी
शर्म हया क्या बेंचा उसने -खुले अंग हैं फटे वस्त्र - या समझ न पाए
मदमाती यौवन से जैसे कली फूटती देखे दुनिया संभल न पाए
मैया गैया गाँव भुलाये- इत उत चितए- कान्हा -को भी याद न आये
लट्ठ उठाये भी राधा के- गले वो लगता -ढोल मजीरा हाँथो से क्या ताल बजाये
देख मजा -२ लेंगे हम सखियाँ -खेलेंगे न होली -
छुप जा देखो चली आ रही ग्वाल बाल की टोली
संभलती ना -अब भी ये छोरी
आज -२ राधा ने की बरजोरी -चलो गुइयाँ देखन को होरी
धड़कन मन की बढती जाती मन व्याकुल है -रंग हाँथ से गिर न जाये
खेल देख अब -चढ़े नशा कुछ -जोश चढ़े अब छुपा कहाँ न मिलता हाय
चलो रगड़ें अब रंग गुलाल -दिलाएं याद -भले हो ‘कुछ’ को आज मलाल
चूम लें -लिख दें -मन की हाल -गुलाबी होंठों से दें छाप
रात भर खेलेंगे-२ हम फाग -खोलकर दिल नाचेंगे आज
भुला सकेगा ना कान्हा रे -मथुरा की ये होली
आज -२ राधा ने की बरजोरी -चलो गुइयाँ देखन को होरी
मुरली की हर तान -२ सुनाये -नाच दिखाए ना बच पाए श्याम
आज -२ राधा ने की बरजोरी…
सुरेन्द्रशुक्लाभ्रमर5
होली में आप सब के बीच न रह पाने के दिल के मलाल को निकलने हेतु ......
आओ एक फाग तो गा ही लें झूम के
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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५