मै किसकी हूँ ?? गढ़ा था जिसने ??-
प्यार किया या लूट के लाये ??..
कितने सपने
देखे नित-नित
दिवा - रात में
सोच-सोच कर
तब जा के ये
"रूप" बना
ख़ुशी हुआ 'मन'-
'मन' को पा के
फिर उसने ये
'रूप' गढ़ा
‘आकृति’-‘ढांचा’
सामग्री- सांचे में ढाला
फिर भी ये -'कंकाल' बना
रंग -बिरंगे परिधानों से
उसने मुझे सजाया
चमकाया –‘श्रृंगार’ किये
‘जान’ डाल दी -
घर में मुझे बिठाया
कुछ -दिन !!!
"उस" दिन - जब सबका
"मन" पाया - नया लगा
त्यौहार है आया !!
"डोर" बाँध उसने फिर मेरे
मुझको बड़ा रुलाया
भेज दिया ‘संग’- ‘उसके’ -
लड़खड़ाते - कदम हमारे
नयी जगह मै आई
लेकिन ‘उड़ने’ लगी - बराबर
"हवा" मै अच्छी पायी
"संगी" मेरा बहुत "कुशल" था
प्यार लुटाता-जी भर
जितना पल -पल - अच्छा करती
ऊँचे चढ़ती !!!
उछल - कूद खुश होता -'अंतर '
नजरें कितने लोग गडाए
बाज -गिद्ध से आड़े आये
किसी बहाने - छू जाने को
‘वो’ टकराए !!!
आकर्षण - श्रृंगार भरा था
चाल अजब मस्तानी
उस पर मेरी
ऊँची "उड़ान" -
सांप लोटता - छाती - जब जब
'तिकड़म' - 'काट'
लगाते जान !!!
एक अकेली -दूर था साथी
कितना - मै -लड़ पाती
'काट" दिया उसने जब फिर तो
टूटा -बंधन !!
गिरी चली -लडखडाती
पुनः -जमीं मै !!
दिल में “चोट” लिए फिर दौड़ा
साथी - मेरा ‘प्यारा’
पल भर में - दूजा भी दौड़ा
'काट '- मुझे जो गिराया
दर्शक उनसे आगे दौड़े
लूट मुझे फिर भागे
कितनो का दिल-टूट गया था
न पाए - न बांटे
मै किसकी हूँ ???
गढ़ा था जिसने ..?
प्यार किया जो ??
जिसने "काट" गिराया
या जो “बलशाली”
"लूट-पाट" के
घर अपने ले आया ..???
रोती चली -राह पूरी मै
लिए -अधूरी "सांस"
क्या जानूं - क्या पाउँगी
क्या लिखे -विधाता हाथ ??
'जल" - "जल-ना "
"शीतल" - फिर "उड़ना"
फिर "काटे" –‘वो’ - कई हाथ में
इधर -उधर मै जाऊं
कोई -"कोने"
'अंधकार' में !!!
हो 'विलीन' मै
अपना "अस्तित्व" मिटाऊं
सुरेन्द्रशुक्लाभ्रमर५
८.०१.२०११ जल पी बी
bahut sundar rachna.........mai kiski hu?
ReplyDeleteधन्यवाद तिवारी जी आप की सराहना के लिए ..पतंग और एक नारी शायद आपने तुलनात्मक दृष्टि से देखा भी हो ..अपने सुझाव सहित अवश्य पधारें
ReplyDeleteशुक्लाभ्रमर५
विचारणीय प्रश्न ...... उम्दा भाव लिए रचना
ReplyDeleteमोनिका जी -सराहना के लिए धन्यवाद - कृपया अपना स्नेह व् सुझाव इसी तरह बनाये रखें -
ReplyDelete-"कोने"
'अंधकार' में !!!
हो 'विलीन' मै
अपना "अस्तित्व" मिटाऊं
प्रिय दिनेश जी -हार्दिक अभिनन्दन आप हमारे ब्लॉग- पोस्ट पर पधारे ..बहुत अच्छी रचनाओ-मंच - से जुड़े हैं -आप -कुछ लिखें -पढ़ें - कुछ कहें -भंडास निकालें -राजस्थान के माटी की खुसबू बिखेरें -मन की दिल की शुरुआत -अपना प्यार बनाये रखें -आप जागरण मंच और इ -चर्चा पर भी मुझसे मुखातिब हो सकते हैं ---धन्यवाद
ReplyDeleteसुरेन्द्रशुक्लाभ्रमार