आँखें खोल राह में चल दो
सपने दिन के
तारे दिन के
नहीं सभी सब सच्चे होते
फर्जीवाड़ा बहुत बढा है
सपने दिन के
तारे दिन के
नहीं सभी सब सच्चे होते
फर्जीवाड़ा बहुत बढा है
लूट पाट करने वालों ने
खूब गढ़ा है
महल दुमहले
संगी साथी
जैसे सागर तीरे कोई बना
इतराता जाये
सुन्दर सुन्दर ताजमहल
हो - बना रेत का
बिना नीव का
कुछ पल तो
आँखों को भाए
जब तक कोई लहर न आये
हहर हहर कर
किसी ह्रदय से
बडवाग्नि से
सोख न जाये
सावधान हो मृग मरीचिका
से बढ़ जाओ
मत घबराओ
रहो जागते
इनसे जिनको
आँख बंद कर
रहे पूजते
इन सबको हे मेरे भाई
हम सब ने ही
दूध पिलाकर किया बड़ा है
Surendrashuklabhramar5
26.3.2011
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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५