सराबोर कर दो हर मन को अगली होली यार सभी रंग घुल जाएँ ऐसे एक धराहो एक पृष्ठ हो एक हमारे मन की आँखें धर्म जाति व्यव्हार एक हो गुलगुलशन सब खिले मिलेंगे -अब उस होली त्यौहार सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
27.03.2011
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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५
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अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५