बदरा बनि - बनि घूमि रहे हो
जब से आई हवा बसंती
फूटी कोंपल -अब हरियाली
अंग-अंग अंगडाई
अब और न मुझको जलाना
सजन तुम ...फागुन में ..
फागुन में आ जाना
भर के अंग लगाना
जिया भर - बालम मोरे !!!
( uparyukat chitra / photo sabhar and with thanx frm other sources )
बदरा बनि - बनि घूमि रहे हो
चाँद - सितारे चूमि रहे हो
धरती पर आ जाना ...
हाए - बरसे -मुझे जुड़ाना
सजन तुम -- और नहीं तरसाना
फागुन में आ जाना
भर के अंग लगाना
जिया भर --बालम मोरे shuklabhramar5
naari,patang, pagli, koyla, ghav bana nasoor, ras-rang, bhramar....
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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५