मेरी कविता खट्टी-मीठी शबरी का है बेर..
मेरी कविता -प्यारा सा इक तेरा चेहरा
भोली आँखें - 'नूर' भरा है
'उस' चेहरे का तपता-बुझता
दर्पण सारा- क्रूर भरा है . . .
मेरी कविता खट्टी- मीठी
शबरी का है बेर
सीता-राम का गुण गाती ये
दुर्गा का है शेर .
आओ हाथ मिला लें हम सब
'एक जाती' हम-भाई
झंडा गाड़ सकें सूरज पर
पार करें हर खांई .
इस कविता में चुन के रख दो
दर्पण ईंट व गंगा पानी
महल बने -धोएं सब चेहरे,
गले मिलें -दुनिया के प्राणी
टिमटिम-तारे -प्यारी चंदा
धूमकेतु संग -राहू-केतु हैं
मलयागिरि की मस्त हवाएं
अंधड़ उजाड़ - तूफ़ान भरा है
कविता है संगीत-सुरमई
भैरव-ताल-मृदंग भरा है
खुश्बू है कलियों फूलों की
समर "पंक' सरोज खिला है
मधुर-माधुरी -रस -पराग है
चंदा -चातक-मद -भौंरे हैं
विषधर-मणि- गोपी -कृष्णा हैं
जीवन -दाई जहर भरा है .
शहनाई -दूल्हा -घोड़ी है ,
अंकुश-चाबुक-विरह -व्यथा है,
दुल्हन सजी -अप्सरा-हंसती
विधवा-व्यथा-'कपाल' भरा है
धीर-धरम-शिव-सत्य भरा है
सत्यम शिवम् सुन्दरम से तो .
धरिस्त-चोर-बदनाम यहाँ है
भ्रष्ट -नीच -चढ़ - मंच खड़ा है .
माँ-ममता -आँचल -मनभावन
बंजर -बाँझ-विदीर्ण- हुआ मन
जलसे -उत्सव-वर्षा -सावन
सूखा पाथर -भूखे का मन .
चूस-चूस रस लेते भौंरे
'तितली' 'सोलह -श्रृंगार' भरा है
इन्द्रधनुष हैं -झूमते बादल
मेरी दुनिया में -"अकाल" बड़ा है.
सुरेन्द्रशुक्लाभ्रमर
२७.०२.२०११ जल पी.बी.
नारी..पतंग..कोयला..घाव बना नासूर ....
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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५