मेरी बिटिया कितनी प्यारी
मेरी बिटिया कितनी प्यारी ,
रंग बिरंगे फूल लगाये ,
उडती फिरती बगिया क्यारी ,
जब उठती कोयल सी बोले ,
मात पिता के पैर को छुए ,
लगता सूरज उग आया ,
ज्योति - जीवन दुनिया लाया ,
मुस्काती तितली बिजली सी ,
सब को नाच नचाती फिरती ,
माँ की चपला प्यारी फिरकी ,
रामा की बोलो तुम सीता ,
या कान्हा की गीता ,
लक्ष्मी का अवतार है बेटी ,
घर को रोज सजाये ,
दर्द भरा हो दिल में कुछ भी ,
उसको दूर भगाए ,
उसके गम के आगे ,
भाई सब कुछ फीका पड़ जाये ,
तभी तो डोली उठते उसकी ,
सब रोते रह जाएँ ,
अपने दिल के टुकड़े को हम ..
इतने 'दर्द' सहे भी देते ,
क्योंकि रोशन सारा जग होना है ,
मेरा घर .. बस एक कोना है ,
जा बेटी जगमग तू कर दे ,
घर आँगन हर कोना ,
कहीं बना दे सीता प्यारी ,
कहीं राम भरत व् कान्हा ,
जग जननी तू जीवन ज्योति ,
जितने नामकरण सब कम हैं ,
सभी कर्म या सभी धरम हों ,
सभी मूल या सभी मंत्र हों ,
“माँ ’ बिन सभी अधूरा ,
तेरे रूप अनेक हैं बेटी ,
गायत्री , काली या दुर्गा ,
जब जो चाहे धर ले ,
जग का है कल्याण ही होना ,
मन इतना बस निश्चित कर ले .
मेरी लाख दुआएं बेटी तू
ऐसा कर जाये ………….
याद में तेरी मोती छलके
हर अँखियाँ भर आयें .
सुरेंद्रशुक्ला “भ्रमर ” on daughters day…..17.1.11
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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५