जित देखूं तित राधा दिखती
पाछे दौड़त श्याम
रंग गुलाल में सराबोर है
छवि नैना अभिराम
हम सब को सम्मोहन से
मन मोहन जरा बचा ले..
हर मीरा से श्याम मिला के
अंग से अंग खिला दे
होली शरा ररा .....
गली गली में शोर बहुत है
ढोल थाप मंजीरा
थिरकत ग्वालन ग्वाल नचावत
सुध बुध बिसरी मीरा
राधा को सम्मोहन से
हे! मोहन जरा बचा ले..
मुरली धर धर होंठ पे उंगली
अंग से अंग खिला दे
होली शरा ररा .....
छनन मनन पग घुंघरू पायल
फाग पे मीठी गारी
बुढ़ऊ सब के जोश है जागल
खुश ज्यों देवर भाभी
विरहिन से है जेठ तड़पता
परदेशी बादल बन छा जा..
जेठ दुपहरी ले ले छाया
अंग से अंग खिला दे
होली शरा ररा .....
भंग का रंग चढ़ा री सिर पर
श्याम नजर सब आवें
डूब रही मैं हर नैनन में
श्याम तो बहुत सतावें
राधा को सम्मोहन से
कोई मोहन जरा बचा ले..
बदले में कुछ ठंडाई ले
अंग से अंग खिला दे
होली शरा ररा .....
कुंजन गलियां बाग में भौंरे
कली खिली बस तड़पें
अमराई बौरायी चहुं दिसि
मादक गंध ले बिहरें
मोहन को सम्मोहन से
कोई गोरी जरा बचा ले..
बदले में कुछ रस गुझिया ले
अंग से अंग खिला दे
होली शरा ररा .....
लाल हरी तो पीली नीली
रंग रंगीली अजब सजीली
कान्हा भटकें राधा अपनी
राधा नैनन हर में दिखती
मोहन को सम्मोहन से
कोई गोरी जरा बचा ले..
बदले में कुछ रस गुझिया ले
अंग से अंग खिला दे
होली शरा ररा .....
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5
प्रतापगढ़
उत्तर प्रदेश
17.03.2022
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (१८ -०३ -२०२२ ) को
'होली के प्रिय पर्व पर करते सब अभिमान'(चर्चा अंक-४३७२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
March 17, 2022 at 6:23 AM
Deleteबहुत बहुत आभार आप का आदरणीया , होली की इस रचना को आप ने चर्चा मंच के लिए चुना अत्यंत हर्ष हुआ, प्रोत्साहन और स्नेह यूं ही देती रहें, राधे राधे।
बहुत बहुत आभार आप का आदरणीया , होली की इस रचना को आप ने चर्चा मंच के लिए चुना अत्यंत हर्ष हुआ, प्रोत्साहन और स्नेह यूं ही देती रहें, राधे राधे।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना, होली की हार्दिक शुभकामनाएं महोदय
ReplyDeleteआभार मित्र प्रोत्साहन हेतु, आप सब को भी होली की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। राधे राधे।
Delete