BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Wednesday, March 16, 2022

मादक सी गंध है होली के रंग लिए

गांव की गोरी ने लूट लिया तन मन
---------------------



आम्र मंजरी बौराए तन देख देख के
बौराया मेरा निश्च्छल मन
फूटा अंकुर कोंपल फूटी
टूटे तारों से झंकृत हो आया फिर से मन
कोयल कूकी बुलबुल झूली
सरसों फूली मधुवन महका मेरा मन
छुयी मुई सी नशा नैन का 
यादों वादों का झूला वो फूला मन
हंसती और लजाती छुपती बदली जैसी
सोच बसंती सिहर उठे है कोमल मन
लगता कोई जोह रही विरहन है बादल को
पथराई आंखे हैं चातक सी ले चितवन
फूट पड़े गीत कोई अधरों पे कोई छुवन
कलियों से खेल खेल पुलकित हो आज भ्रमर
मादक सी गंध है होली के रंग लिए
कान्हा को खींच रही प्यार पगी ग्वालन
पीपल है पनघट है घुंघरू की छमछम से
गांव की गोरी ने लूट लिया तन मन
-------------------------
http://surendrashuklabhramar.blogspot.com/2021/03/blog-post.html?m=1
सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश भारत


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

5 comments:

  1. बहुत बहुत धन्यवाद मित्र, रचना को आप ने चुना पांच लिंकों का आनंद के लिए बहुत खुशी हुई , आभार। राधे राधे।

    ReplyDelete
  2. हार्दिक धन्यवाद आप का आदरणीया, जय श्री राधे।

    ReplyDelete
  3. आम्र मंजरी बौराए तन देख देख के
    बौराया मेरा निश्च्छल मन
    फूटा अंकुर कोंपल फूटी
    टूटे तारों से झंकृत हो आया फिर से मन
    कोयल कूकी बुलबुल झूली
    सरसों फूली मधुवन महका मेरा मन
    बहुत सुंदर..
    आभार..

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर शृंगार सृजन होली के रंगों सा रंगीला।

    ReplyDelete

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५