ईमानदार आदमी सांप हैं ??
तुम बिल में ही रहो
बाहर झांको और घुस जाओ
अँधेरे में
कोई संकीर्ण रास्ता गली
ढूंढ रौशनी ले लो
हवा ले लो
सांस ले लो
त्यौहार पर हम चढ़ावा दे देंगे
दूध पिला देंगे
जब की हम जानते हैं
तब भी तुम हमारे लिए
जहर उगलोगे
जब भी बाहर निकलोगे
देव-दूत बन डोलोगे
मेला लग जाता है
भीड़ हजारों लाखों लोग
आँख मूँद तुम पर श्रद्धा
न जाने क्या है तुम में ??
औकात में रहो
देखा नहीं तुम्हारे कितने भाई मरे
हमारे मुछंडे मुस्तैद हैं
फिर भी तुम्हारी जुर्रत
बाहर झांकते हो
आंकते हो -हमारी ताकत ??
फुंफकारते हो
डराते हो
हमारे पीछे है एक बड़ी ताकत
बिके हुए लोग भ्रष्ट ,चापलूस
भिखारी , गरीब , भूखे -कमजोर
बहुत कुछ ऐसे -कवच ----
फिर भी न जाने क्यों
हमारे दिल की धडकनें भी
बढ़ जाती हैं
मखमली गद्दों पर नींद नहीं आती है
नींद की गोलियां बेअसर दिखती हैं
बीबी बच्चों से दूर
अकेले में निस्तब्ध रात्रि में
मै भी हाथ जोड़ लेता हूँ
तुम्हारे आगे
की शायद ये डर भागे ------
शुक्ल भ्रमर ५ -८.१३-८.२५ पूर्वाह्न
यच पी ३.११.2011
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
alkargupta1 के द्वारा November 5, 2011
ReplyDeleteशुक्ला जी , विषधर को कितना भी दूध पिलाओ विष उगलेंगे ही…..
अर्थपूर्ण रचना के लिए बधाई !
surendra shukla bhramar5 के द्वारा November 5, 2011
हाँ अलका जी बिलकुल सत्य कहा आप ने उल्टा जहर वाही उगल रहे यहाँ तो ईमानदारों को सांप सा रखे हुए हैं बिल में …रचना अर्थपूर्ण लगी सुन ख़ुशी लिखना सार्थक रहा
आभार आप का प्रोत्साहन हेतु
भ्रमर ५
minujha के द्वारा November 5, 2011
अगर ईमानदारी बेईमानों को सर्पदंश बनकर ही डराती है तो यही सही,
बहुत अच्छी कृति,बधाई देना चाहुंगी
surendra shukla bhramar5 के द्वारा November 5, 2011
प्रिय मीनू झा जी अभिवादन शायद पहली मुलाकात अभिवादन आप का …बिलकुल सच कहा आप ने अगर बेईमानों को ईमानदारी सर्पदंश सी दिन रात लगे तो यही सही बहुत से इस प्रकार के फुंफकारने वाले सर्पों की आज जरुरत है तो बात बने …
आभार आप का
भ्रमर ५
akraktale के द्वारा November 4, 2011
आदरणीय सुरेन्द्र जी नमस्कार,
सुन्दर रचना. भले ही सांप काटे का मंतर मालूम हो मगर इन विषैले साँपों से डर लगता है. फिर एक मंत्र कब तक इन साँपों से बचाएगा. जय श्री राधे.
surendr shukl bhramar5 के द्वारा November 5, 2011
प्रिय अशोक रक्तले जी अभिवादन हाँ सच कहा आप ने भले ही मन्त्र मालुम हो लेकिन कब तक इसी एक मन्त्र से बचें हमें भी मन्त्र बदलते रहना होगा जैसे वे चाल ढाल रखें उसके मुताबिक …आइये सब मिल इसका ध्यान रखें …
आभार
भ्रमर ५
vinitashukla के द्वारा November 4, 2011
सर्प तो शिवशंकर की ग्रीवा का अलंकार है. पापियों को उससे डरकर ही रहना चाहिए. कविता के जरिये एक शुभ सन्देश दिया आपने. बधाई भ्रमर जी.
surendr shukl bhramar5 के द्वारा November 5, 2011
आदरणीया विनीता जी अभिवादन सच कहा आप ने पापी तो अपने को शिव को वरदान पा अमर ही समझ बैठते हैं न नहीं जानते की कल वही शिव उनके पुण्य पाप जो जानते हैं धराशयी मटियामेट कर देते हैं ..
आभार आप का
भ्रमर ५
Rajkamal Sharma के द्वारा November 4, 2011
आदरर्णीय भ्रमर जी ….सादर प्रणाम !
आजकल आपका सर्प योनि पर प्रेम बहुत ही ज्यादा उमड़ घुमड़ रहा है …..
कहीं यह सपने में आप जैसे सज्जन को डराते तो नहीं ?…..
इस मर्ज का इलाज तो खुदा के करम से मेरे पास है …..
आटा +प्याज +गुड़ +चने की दाल +दक्षिणा +कच्ची लस्सी गुगा पीर जी को चढ़ा कर
-बचीखुची कच्ची लस्सी का छींटा पुरे घर में दे देवे ……
जय श्री राधे कृष्ण !
:| 8-)8-)
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surendr shukl bhramar5 के द्वारा November 5, 2011
अरे गुरुदेव गरीबी में तो वैसे ही आटा गीला होता है और एक आप हैं की पीर के चक्कर में पूरा ही पानी कर देना चाहते हैं जीने दो ईमानदारों को भी इस देश में .कच्ची लस्सी मिल जाए तो रात गुजर जाए भले ही रात भर खांस खांस सब को जगाना पड़े ..उनका भी दुःख दर्द तो समझिये की केवल सत्ता के चाटुकार को ही हक़ है ……कहाँ है दो रोटी का मूल अधिकार ??
जीते जागते सपने में वास्तव में डराते तो रहते ही हैं जी ……सब झेलना होता है चलते रहो घिस घिस के ..झरने सा कल कल करते …
आभार आप का प्यारी प्रतिक्रिया
जय श्री राधे
भ्रमर ५
Santosh Kumar के द्वारा November 4, 2011
ReplyDeleteआदरणीय भ्रमर जी ,.सादर प्रणाम
बहुत ही सार्थक रचना ,..अब विषधर को फुंकार मार हलाहल से दुश्मनों को निश्चेत करना होगा ,….हार्दिक आभार
surendr shukl bhramar5 के द्वारा November 5, 2011
प्रिय संतोष जी सच कहा भाई आप ने इन्हें फुंकार मार बेहोश करने की जरुरत है पर ये तो लगता है समझ बैठे हैं अमृत पी कर आये हैं ..
आभार आप का प्रोत्साहन हेतु
भ्रमर ५
Harish Bhatt के द्वारा November 4, 2011
आदरणीय शुक्ल जी बहुत ही शानदार कविता. बहुत बहुत बधाई.
surendr shukl bhramar5 के द्वारा November 5, 2011
प्रिय हरीश जी अभिवादन ..ईमानदारी की ये छवि जो आज कुछ लोग बना दिए हैं आप को अच्छी लगी सुन हर्ष हुआ आभार आप का प्रोत्साहन हेतु
भ्रमर ५
shashibhushan1959 के द्वारा November 4, 2011
बात कुछ नहीं, बहुत बड़ी है,
बहुत मुलायम, बहुत कड़ी है.
लेकिन अब फुंकार मारने
की आई अनमोल घडी है.
चूक गए तो पता नहीं अब,
कब मिल पायेगा अवसर,
इन पाखंडी नेताओं को,
दण्डित करो महाविषधर.
surendra shukla bhramar5 के द्वारा November 4, 2011
प्रिय और आदरणीय शशिभूषण जी आभार आप का आप ने सजा दिया इस मंच को …अपना स्नेह यों ही बनाये रखें…बड़ी ख़ुशी हुयी अभिनन्दन आप का
सच कहा आपने इन्हें इन का रास्ता आज नहीं तो कल दिखाना ही होगा …इन्हें हार …..
भ्रमर ५
nishamittal के द्वारा November 4, 2011
बहुत अच्छी समता दूध पिला देंगे
जब की हम जानते हैं
तब भी तुम हमारे लिए
जहर उगलोगे
जब भी बाहर निकलोगे
देव-दूत बन डोलो सुन्दर पंक्तियाँ
surendra shukla bhramar5 के द्वारा November 4, 2011
आदरणीया निशा जी अभिवादन ….. काफी दिनों बाद आज आप के दर्शन यूं मै ही गायब था दीवाली पर तो ….ये पंक्तियाँ आप के मन को छू सकीं सुन ख़ुशी हुयी लिखना सार्थक रहा …
आभार
भ्रमर ५
बुरे कामों के करने से दिल में एक दर अवश्य रहता है . अच्छी तुलना प्रस्तुत की है.
ReplyDeleteआदरणीया रचना जी आभार और अभिवादन प्रोत्साहन हेतु
ReplyDeleteसच कहा आप ने बुरे काम से डर बना ही रहता है ..और रहना भी चाहिए ताकि कुछ तो पता चले न ///
भ्रमर ५
आपका पोस्ट अच्छा लगा ।मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteहार्दिक अभिनन्दन प्रेम सरोवर जी और और अभिवादन हम अवश्य आप के ब्लाग पर पहुँच रहे हैं .
ReplyDeleteरचना पसंद आई सुन हर्ष हुआ
आभार
भ्रमर 5
बहुत सुन्दरता से आपने प्रस्तुत किया है! बेहतरीन पोस्ट!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
धन्यवाद बबली जी प्रोत्साहन हेतु ..
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५