किस घर बैठूं -किसका खाऊँ ?
हाथी मेरा खाता पीता
सुस्त चले – रहता बस सोता
अश्वमेध का सपना आया
घोडा चुन-चुन लाया
हाथी पर चढ़ कभी परिक्रमा
जब पूरी ना हो पायी
अश्वशक्ति – कुछ मंत्री- तंत्री
ले उधार तब-इच्छा पूरी कर पायी
सूरज ढलने को आया जब
अँधेरा ना हो जाए !
इसी लिए घर आग लगाया
उजाला -कुछ दिन रह जाए !!
उत्तर हाथी, उत्तर काशी
उत्तर शिला -उत्तर लोढ़ा
चार धाम- मन में आया
साँसें अटकी -जीवित क्यों हूँ
संसद में ला पास करा लूं
अपनी मूरति – कुछ गढ़वा के
चौराहे – मंदिर -में ला -दूँ
सुस्त चले – रहता बस सोता
अश्वमेध का सपना आया
घोडा चुन-चुन लाया
हाथी पर चढ़ कभी परिक्रमा
जब पूरी ना हो पायी
अश्वशक्ति – कुछ मंत्री- तंत्री
ले उधार तब-इच्छा पूरी कर पायी
सूरज ढलने को आया जब
अँधेरा ना हो जाए !
इसी लिए घर आग लगाया
उजाला -कुछ दिन रह जाए !!
उत्तर हाथी, उत्तर काशी
उत्तर शिला -उत्तर लोढ़ा
चार धाम- मन में आया
साँसें अटकी -जीवित क्यों हूँ
संसद में ला पास करा लूं
अपनी मूरति – कुछ गढ़वा के
चौराहे – मंदिर -में ला -दूँ
———————————
उसका ख्याल ये देख -देख कर
दल-दल मै फंसता जाऊं
अभी एक हैं भाई मेरे
जाऊं थोडा मिल आऊँ !
कल वे बँटे दीवारों होंगे
किस घर बैठूं – किसका खाऊँ ?
——————————-
बार्डर पर जाते ही भैया
एक -मुछंडे ने – रोका !
“बौने” छोटे- वहां बहुत हैं
तेरा “कद” अब भी ऊंचा !!
वीसा -पासपोर्ट -ले आओ
बंट जाए- तो फिर- घर जाओ
अब वो गाँव देश ना प्यारा
अब ये है पर-देश
मारा मारी -विधान -सभा में
नहीं मिला सन्देश ??
———————————–
दो रोटी खाकर मै जीता
कीचड़ वाला पानी भाई
सूखे कुएं का – अब तक पीता
ये कंकाल लिए अपना मै
कैसे पासपोर्ट बनवाऊँ ?
मगरमच्छ हैं -गिद्ध बहुत हैं
भय है- ना नोचा जाऊं !
———————————-
मन चाहे पत्थर की मूरति से
मिल मै – कुछ रो आऊँ
हाड मांस का पुतला अपना
आंसू – थोडा दिखलाऊँ
————————-
इस आंसू में शक्ति बहुत है
थोडा उनको समझाऊँ !
जो सजीव “पाथर” हैं मिल लूं
आँख मिला के -बतलाऊँ
जहर भरा है जिनके रग में
आंसू थोडा- मिला के आऊँ !
मुई खाल की सांस की गर्मी से
थोडा मै पिघलाऊँ !
मन में उनके जो इच्छा है
मार -उसे थोडा मै पाऊँ !
यहाँ पे राज करेंगी मौसी
वहां पे मामा कंस !
विद्वानों को तहखाने कर
मिलकर लेंगे डँस !!
—————————–
भ्रमर ५
यच पी
उसका ख्याल ये देख -देख कर
दल-दल मै फंसता जाऊं
अभी एक हैं भाई मेरे
जाऊं थोडा मिल आऊँ !
कल वे बँटे दीवारों होंगे
किस घर बैठूं – किसका खाऊँ ?
——————————-
बार्डर पर जाते ही भैया
एक -मुछंडे ने – रोका !
“बौने” छोटे- वहां बहुत हैं
तेरा “कद” अब भी ऊंचा !!
वीसा -पासपोर्ट -ले आओ
बंट जाए- तो फिर- घर जाओ
अब वो गाँव देश ना प्यारा
अब ये है पर-देश
मारा मारी -विधान -सभा में
नहीं मिला सन्देश ??
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दो रोटी खाकर मै जीता
कीचड़ वाला पानी भाई
सूखे कुएं का – अब तक पीता
ये कंकाल लिए अपना मै
कैसे पासपोर्ट बनवाऊँ ?
मगरमच्छ हैं -गिद्ध बहुत हैं
भय है- ना नोचा जाऊं !
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मन चाहे पत्थर की मूरति से
मिल मै – कुछ रो आऊँ
हाड मांस का पुतला अपना
आंसू – थोडा दिखलाऊँ
————————-
इस आंसू में शक्ति बहुत है
थोडा उनको समझाऊँ !
जो सजीव “पाथर” हैं मिल लूं
आँख मिला के -बतलाऊँ
जहर भरा है जिनके रग में
आंसू थोडा- मिला के आऊँ !
मुई खाल की सांस की गर्मी से
थोडा मै पिघलाऊँ !
मन में उनके जो इच्छा है
मार -उसे थोडा मै पाऊँ !
यहाँ पे राज करेंगी मौसी
वहां पे मामा कंस !
विद्वानों को तहखाने कर
मिलकर लेंगे डँस !!
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भ्रमर ५
यच पी
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
मर्मपूर्ण काव्य बधाई
ReplyDeleteआदरणीय कुश्वंश जी अभिवादन ..आप ने भाव और मर्म को समझा ..काश सब समझें ..
ReplyDeleteभ्रमर ५
बेहतरीन लिखा है,
ReplyDeleteसंदीप जी अभिवादन कहाँ कहाँ भ्रमर कर आये
ReplyDeleteआभार प्रोत्साहन हेतु
भ्रमर ५
भ्रमर जी,
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव पूर्ण प्रस्तुति,बेहतरीन
मेरे नये पोस्ट में पधारे स्वागत है आपका...
आदरणीय धीरेन्द्र जी अभिवादन और आभार प्रोत्साहन के लिए
ReplyDeleteभ्रमर ५