दीवाली पर लिखी गयी एक रचना कुछ कारण वश पोस्ट नहीं हो सकी थी ..विलम्ब हेतु क्षमा .....आप सब को ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं ..सब का मन उजियारा हो ...
मात लक्ष्मी कृपा करो तुम
घर आँगन भर जाए
बादल बरसें सोने चांदी
वही पियें हम खाएं
प्रेम से अब क्या लेना देना
प्रेम तो हुआ खिलौना
जब चाहो तुम जोड़ो तोड़ो
ना आदम ना हौव्वा
रीति नीति सब भई पुरानी
आँखों का सूखा है पानी
मानव मन बिकता है अब तो
घास डाल कुछ चारा पानी
आँगन में बाजार लगा है
मोल भाव ही करते दिखते
मात पिताश्री तो गायब हैं
ममी डेड सी तरते रहते
अधनंगों नंगों की दुनिया
ताज पहन कर घूमें
कोई तलवे चाट रहा है
कोई बांह भरे है चूमे
हीरा पन्ना मोती माणिक
कहाँ जौहरी जो पहचाने
क्या चन्दन है कहाँ रंगोली
क्या उपवन क्या पुष्प खिला
अब तो कैक्टस चुभ जाए रे
सेज पे पहली रात मिला
हे लक्ष्मी तू धनी बना दे
घर में गाड़ खजाना
अजगर बन मै यहीं रेंग लूं
काहे स्विटज़र जाना
हर दीवाली दिया जलाया
नहीं ख़ुशी ना पूड़ी पाया
अब तो तेल नहीं है बाकी
इस दीवाली दिया ना बाती ?
उनके घर क्या पाए माता
क्या तुझको है वहां सुहाता
झर झर झरते कर से तेरे
रत्न वहीं पर क्यों भर जाता ?
रोशन कर दें मन तू मेरा
ईर्ष्या मन में ना रह पाए
जगमग जगमग ज्योति जला दे
लक्ष्मी दौड़ी यहीं आ जाए
गणपति बप्पा भी संग आयें
सरस्वती जिह्वा बस जाएँ
मधुर मधुर अहसास भरा हो
प्रेम का पग पग दिया जला हो
अनुपम दिव्य लोक हो जाए
मन रोशन माँ संग हो जाए
दीवाली सुन्दर हो जाए !!
घर आँगन भर जाए
बादल बरसें सोने चांदी
वही पियें हम खाएं
प्रेम से अब क्या लेना देना
प्रेम तो हुआ खिलौना
जब चाहो तुम जोड़ो तोड़ो
ना आदम ना हौव्वा
रीति नीति सब भई पुरानी
आँखों का सूखा है पानी
मानव मन बिकता है अब तो
घास डाल कुछ चारा पानी
आँगन में बाजार लगा है
मोल भाव ही करते दिखते
मात पिताश्री तो गायब हैं
ममी डेड सी तरते रहते
अधनंगों नंगों की दुनिया
ताज पहन कर घूमें
कोई तलवे चाट रहा है
कोई बांह भरे है चूमे
हीरा पन्ना मोती माणिक
कहाँ जौहरी जो पहचाने
क्या चन्दन है कहाँ रंगोली
क्या उपवन क्या पुष्प खिला
अब तो कैक्टस चुभ जाए रे
सेज पे पहली रात मिला
हे लक्ष्मी तू धनी बना दे
घर में गाड़ खजाना
अजगर बन मै यहीं रेंग लूं
काहे स्विटज़र जाना
हर दीवाली दिया जलाया
नहीं ख़ुशी ना पूड़ी पाया
अब तो तेल नहीं है बाकी
इस दीवाली दिया ना बाती ?
उनके घर क्या पाए माता
क्या तुझको है वहां सुहाता
झर झर झरते कर से तेरे
रत्न वहीं पर क्यों भर जाता ?
रोशन कर दें मन तू मेरा
ईर्ष्या मन में ना रह पाए
जगमग जगमग ज्योति जला दे
लक्ष्मी दौड़ी यहीं आ जाए
गणपति बप्पा भी संग आयें
सरस्वती जिह्वा बस जाएँ
मधुर मधुर अहसास भरा हो
प्रेम का पग पग दिया जला हो
अनुपम दिव्य लोक हो जाए
मन रोशन माँ संग हो जाए
दीवाली सुन्दर हो जाए !!
(फोटो साभार गूगल/नेट से )
हमारे सभी लेखक मित्र मण्डली को दीवाली की हार्दिक शुभ कामनाएं ..क्या जाने कल कहाँ रेंग जाऊं ….जय गणपति लक्ष्मी मैया ..
शुक्ल भ्रमर ५२०.१०.२०११ ९.०० मध्याह्न
जल पी बी
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
आदरणीय महोदय
ReplyDeleteमै आपकी यह पोस्ट बिलम्ब से पढ पाया हूँ ।
सराहनीय है
मेरी पोस्ट पर आकर आर्शिवाद देने के लिये आभार
आपकी पोस्ट सराहनीय है शुभकामनाऐं!!
बहुत सुंदर आपने तो हर रंग समेत लिया ......
ReplyDeleteसमेट
ReplyDeleteप्रिय अशोक शुक्ल जी हार्दिक अभिनन्दन और अभिवादन ..नारी के दिल के प्यारे जज्बातों और त्याग को जो आपने बयां किया काबिले तारीफ थी
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
आदरणीय डॉ मोनिका जी इस रचना में आप को कई भाव कई रंग झलके ये कुछ व्यक्त कर सकी मन को छू सकी सुन ख़ुशी हुयी
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
sundar rachna.aabhar
ReplyDeleteकनु जी अभिवादन और अभिनन्दन आप का यहाँ पर -रचना आप के मन को छू सकी सुन हर्ष हुआ अपना स्नेह और सुझाव बनाये रखें
ReplyDeleteभ्रमर ५
प्रिय रविकर जी ..रचना मंच से आया ...अभिवादन ..सराहनीय ........
ReplyDeleteजैसे काजल कोठरी
डूबे काजल लगता
ऐसे "भ्रमर" को घूमते
दर्द भरा ही दीखता
आओ मन को हम समझाएं
कभी कभी कुछ रंग बिरंगा
झोली अपनी भर के लायें
जैसे सतरंगी- मित्रों की बगिया से
हो कर आये
इन्द्रधनुष ला ला कर हो यूं
सुन्दर रचना मंच सजाये
बरसे यूं ही हरियाली
हो शान्ति निराली
सदा सदा ही
हम दौड़े इस मंच पे आएं
आभार
भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
बहुत सुन्दर,मनोहारी कविता
ReplyDeleteप्रिय सुरेन्द्र सिंह झंझट जी आभार आप का प्रोत्साहन हेतु रचना आप के मन को छू सकी सुन हर्ष हुआ
ReplyDeleteभ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया