प्रिय वियोग में पागल मत बन नारी तेरे बहुत कर्म हैं
(photo with thanks from other sources for a good cause)
जग- जननी ,पालक तो तू ही -जल -फूल खिलाया तूने ही
बन सजनी, श्रष्टा की तू ही -परिपूर्ण -पकाया तूने ही बन काली -कलुषित तन जारे -पूजा का अधिकार भी पाया
मंथरा बनी -पूतना बनी -मन मारे -सावित्री सीता नाम लिखाया
पहचानो नारी -पहले खुद को -नारी तेरे कई रूप हैं ----
प्रिय वियोग में पागल मत बन ! नारी तेरे कई रूप है-- -
सुकुमार बनी क्यों -श्रम त्यागा -लक्ष्मण रेखा में रहना चाहा
घूंघट आड़ खड़ी क्यों - वरमाला -निज वश सब- करना चाहा
संयत ,सुशील , धर धीर चली क्यों -अंकुश टूटा-उच्छृंखल- नर भागा
गंभीर -हीन – मन- मार -चली क्यों -अंतर्धारा नर जान न पाया
जब चुने रास्ते फूलों के ही -कंटक कीचड तो आयेंगे ही
पहचानो नारी पहले खुद को नारी तेरे कई रूप हैं ----
प्रिय वियोग में पागल मत बन नारी तेरे कई रूप है—
जननी,पत्नी, भगिनी, दुहिता, साथी नर माने तुमको ही
शक्ति , भक्ति , ख्याति, शुचिता -नारी- नर पाए तुझसे ही
अपमान जहाँ हो नारी का -सुर ना हों –‘शिव’ भी ‘शव’ बन जाता है
पाषाण ह्रदय हो ‘वारि’ सा -स्पर्श जहाँ हो -पीड़ा भी सुख बन जाता है
जन मानस जब अभिवादन करता नारी -पाले- जा “निज-गुण” को ..
पहचानो नारी पहले खुद को नारी तेरे कई रूप हैं ----
प्रिय वियोग में पागल मत बन नारी तेरे कई रूप है—
नभ , तारे , सूरज ,चाँद व् धरती -प्रेरित करती सब पर बलिहारी
जग आये जीवन -ज्योति न अपनी सब अभिनय के अधिकारी
अतिक्रमण करे क्यों अधिकार जताये-प्रिय पीछे मन प्राण गंवाये
प्राण टूटे क्यों -छूटा प्रिय जाये -मुस्कान लाज ममता जल जाये
विपरीत चले क्यों धारा के तू-भय है अस्तित्व नहीं मिट जाये...
पहचानो नारी पहले खुद को नारी तेरे कई रूप हैं ----
प्रिय वियोग में पागल मत बन नारी तेरे कई रूप है—
१३.५.2011
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
वाह ! बहुत सुंदर
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
विवेक जी धन्यवाद नारी के बिभिन्न रूप और उसके कर्म से युक्त ये रचना आप को सुन्दर लगी सुन हर्ष हुआ
ReplyDeleteअपना सुझाव व् विचार भी प्रकट करते रहें
शुक्ल भ्रमर ५
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विचार है
ReplyDeleteचिन्मयी जी हार्दिक धन्यवाद -बहुत सुन्दर आप आई हमारी ब्लॉग पर -आप को अच्छा लगा सुन हर्ष हुआ -आइये हमारे बाल झरोखा सत्यम की दुनिया में
ReplyDeleteअपना सुझाव व् समर्थन के साथ
http://surenrashuklabhramar5satyam.blogspot.com
कोरल जी अभिनंदन आप का यहाँ पर -प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteकृपया अपना सुझाव व् समर्थन भी दें आइये हमारे अन्य ब्लॉग पर भी
http://surendrashuklabhramar.blospot.com
शुक्ल भ्रमर ५