काहे खून तेरा प्यारे अब
खौलता नहीं —??
तोड़ लिया कोई फूल तुम्हारा
खाली हो गयी क्यारी
उजड़ जा रहा चमन ये सारा
गुल गुलशन ये जान से प्यारी
खुश्बू तेरे मन जो बसती
मिटी जा रही सारी
पत्थर क्यों बन जाता मानव
देख देख के दृश्य ये सारे
खींच रहा जब -कोई साड़ी
खौलता नहीं —??
तोड़ लिया कोई फूल तुम्हारा
खाली हो गयी क्यारी
उजड़ जा रहा चमन ये सारा
गुल गुलशन ये जान से प्यारी
खुश्बू तेरे मन जो बसती
मिटी जा रही सारी
पत्थर क्यों बन जाता मानव
देख देख के दृश्य ये सारे
खींच रहा जब -कोई साड़ी
काहे खून तेरा प्यारे अब
खौलता नहीं —??
खौलता नहीं —??
(फोटो साभार गूगल देवता /नेट से लिया गया )
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साँप हमारे घर में घुसते
अंधियारे क्यों भटक रहा
जिस बिल से ये चले आ रहे
दूध अभी भी चढ़ा रहा ?
तू माहिर है बच भी सकता
भोला तो अब भी भोला है
दोस्त बनाये घूम रहा
उनसे अब भी प्यार जो इतना
बिल के बाहर आग लगा
बिल में ही रह जाएँ !
काट न खाएं !
इन भोलों को !!
लाठी क्यों ना उठा रहा ??
काहे खून तेरा प्यारे अब
खौलता नहीं —??
————————
तोड़-तोड़ के पत्थर दिन भर
बहा पसीना लाता
धुएं में आँखें नीर बहाए
आधा पका – बनाता
बच्चों को ही पहले देने
पत्तल जभी सजाता
मंडराते कुछ गिद्ध -बाज है
छीन झपट ले जाते
कल के सपने देख देख के
चुप क्यों तू रह जाता
काहे खून तेरा प्यारे अब
खौलता नहीं —??
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अंधियारे क्यों भटक रहा
जिस बिल से ये चले आ रहे
दूध अभी भी चढ़ा रहा ?
तू माहिर है बच भी सकता
भोला तो अब भी भोला है
दोस्त बनाये घूम रहा
उनसे अब भी प्यार जो इतना
बिल के बाहर आग लगा
बिल में ही रह जाएँ !
काट न खाएं !
इन भोलों को !!
लाठी क्यों ना उठा रहा ??
काहे खून तेरा प्यारे अब
खौलता नहीं —??
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तोड़-तोड़ के पत्थर दिन भर
बहा पसीना लाता
धुएं में आँखें नीर बहाए
आधा पका – बनाता
बच्चों को ही पहले देने
पत्तल जभी सजाता
मंडराते कुछ गिद्ध -बाज है
छीन झपट ले जाते
कल के सपने देख देख के
चुप क्यों तू रह जाता
काहे खून तेरा प्यारे अब
खौलता नहीं —??
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शुक्ल भ्रमर ५
२०.०७.२०११ जल पी बी
८.५५ पूर्वाह्न
२०.०७.२०११ जल पी बी
८.५५ पूर्वाह्न
खूबसूरत भाव सुन्दर रचना.
ReplyDeleteरचना के बिम्ब बहुत रोचक है शब्द संयोजन बहुत कमाल का खुबसूरत रचना
ReplyDeleteप्रिय यस यन शुक्ल जी रचना के भाव सुन्दर बने आज के परिदृश्य में जोश जगाने पर -प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteप्रिय संजय भाष्कर जी रचना में सामजिक परिदृश्य झलके और शब्द ठीक लगे सुन हर्ष हुआ
ReplyDeletepehli baar aapke blog per aye hai sunder bhav ki rachnayenhai
ReplyDeleteमन को उद्वेलित करने वाली मार्मिक रचना.... आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeleteरोशी जी हार्दिक अभिनन्दन आप का हमारे अन्य ब्लाग पर भी आयें -सब का लिंक इस ब्लॉग में है जहाँ कुछ अन्य तरह की रचनाएँ हैं -रचना भायी सुन हर्ष हुआ
ReplyDeleteसमर्थन के लिए आभार -
शुक्ल भ्रमर ५
डॉ वर्षां सिंह जी अभिवादन --काहे खून तेरा खुलता नहीं रचना ने आप के मन में जगह बनायीं सुन हर्ष हुआ ..
ReplyDeleteभ्रमर ५
सुन्दर भाव से सजी शानदार रचना! बधाई!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com
वर्तमान दशा का सटीक आकलन और यथार्थ का काव्यमय सुन्दर वैचारिक प्रस्तुतिकरण....
ReplyDeleteबबली जी अभिवादन रचना के भाव आप को अच्छे लगे सुन प्रसन्नता हुयी प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteभ्रमर ५
आदरणीया डॉ ( मिस) शरद सिंह जी हार्दिक अभिवादन -रचना अभी के हालात के सटीक लगी -यथार्थ को काव्यमय रूप में आप ने देखा -समर्थन किया हर्ष हुआ
ReplyDeleteआभार आप का
भ्रमर ५
बहुत सुन्दर और मार्मिक रचना..मेरे ब्लांग में पधारने के लिय धन्यवाद...
ReplyDeleteआदरणीया महेश्वरी कानेरी जी अभिवादन आप का भी यहाँ पर रचना आप को अच्छी लगे सुन हर्ष हुआ
ReplyDeleteस्वागत आप का
भ्रमर ५
This is lull before storm. Nice post.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteजगदीश बाली जी धन्यवाद आप का रचना पसंद करने के लिए आंधी को जगाने के लिए ये बच्चे सा कोमल गीत भी गाना पड़ता है
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
अमरेन्द्र अमर जी रचना पसंद करने और प्रोत्साहन के लिए आभार
ReplyDeleteभ्रमर५
josh ko jagati hui sundar rachna ,galat ko rokne ke liye ye jazba hona jaroori hai .
ReplyDeleteसम्माननीया ज्योति सिंह जी हार्दिक अभिवादन प्यारी प्रतिक्रिया आप की सच में अगर हमारा जोश और होश न रहे तो गलत होता रहेगा कोई और नहीं हम ही झेलते भी रहेंगे आइये सब मिल जहाँ भी हैं विरोध करें तीव्रता से -भ्रमर ५
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