परफार्मेंश अप्रेजल आया -
भ्रष्टाचार को और बढाया
सरकारी कुछ चीज अलग थी
मस्ती सब के जाती छाती
एक बार घुस गये अगर तो
कौन निकाले किसकी छाती
फ़ाइल का है वजन बहुत ही टेबल बैठी बस हैं सोती
विधवा पेंशन लगवाने को
बहा हुआ घर बनवाने को
बड़ी तपस्या करनी पड़ती
पाँव दबाओ -बाबू साहेब कह कर उनका घर उनके कुछ दान दक्षिणा
टी.व्ही.फ्रिज ही ले जा दे दो
चन्दन लगा यहाँ जो बैठे
उनसे भी कुछ जा के निपटो
पहिया तब फाईल को लगती लंगड़े सी वो चले रगडती
अगर कहीं सच्चा मिल जाता
कल सीमा या जंगल जाता !!
III
प्राइवेट में कम नखरे ना
नया नियम कानून धरा है
चमचागीरी -लूटो-बाँटो
बॉस के अपने तलवे चाटो
फुलवारी जा उनकी देखो
गेंहू चावल कुछ लदवा दो
काम करो चाहे सो जाओ
हाँ में हाँ तुम चलो मिलाओ
तभी प्रशंसा पत्र हाथ में
साल में दो परमोशन पाओ
या छोड़ कंपनी दस दिन घूमे
लौट के आओ
कौवा से तुम हंस बने
गधे से घोडा -दौड़ दिखाओ
चलने दो उनकी मनमानी
मुह खोलो ना कर नादानी
अगर चले विपरीत कहीं भी
तेरी फसल पे पत्थर पानी
“परफार्मेंस अप्रेजल” आया
“भ्रष्टाचार” को और बढाया
जिसने बंदी हमें बनाया
अब लगाम उन के हाथो में
चाहे रथ वे जैसे हांके
बड़ी गुलामी -
सुबह शाम कब ??
बच्चे -बूढ़े हों ??
लगे रहो बस निकले दम
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
31.07.2011
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
खूबसूरत भावाभिव्यक्ति , बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने ! लाजवाब प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
यस यन शुक्ल जी अभिवादन रचना के भाव स्पष्ट हुए सुन्दर लगे सुन हर्ष हुआ -प्रोत्साहन के लिए आभार
ReplyDeleteबबली जी प्रोत्साहन के लिए आभार अपना समर्थन यों ही देते रहिएगा
ReplyDeletevyang ki tikhi dhar bahut sunder .
ReplyDeleteaapka likha ek ek shbd sachchai byan kar raha hai
rachana
सम्माननीया रचना जी परफार्मेंस अप्रेजल की कहानी सटीक लगी आप को सुन हर्ष हुआ प्रोत्साहन के लिए आभार -भ्रमर ५
ReplyDeleteसामयिक परिस्थितियों का अच्छा वर्णन किया है आपने.
ReplyDeleteअभिषेक मिश्र जी-अभिवादन -परफार्मेंस अप्रेजल...रचना आजकल के हालात का वर्णन सटीक कर सकी सुन हर्ष हुआ
ReplyDeleteप्रोत्साहन के लिए आभार
शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर की माधुरी
बहुत सटीक कटाक्ष....
ReplyDeleteआदरणीय समीर लाल उड़न तश्तरी जी --धन्यवाद आप का इस रचना में कटाक्ष के द्वारा कुछ भ्रष्टाचार का मुखौटा खुला ...
ReplyDeleteप्रोत्साहन के लिए आभार