बेवफाई ही दुनिया में भरी जा रही -हम आँख मूँद सम्मोहित हो बलि के बकरे सा पीछे -पीछे चल पड़ते हैं -नहीं जानते कहाँ किस ओर कहाँ मंजिल है हमारी -तिलक लगाये हमारी कुछ पूजा करने को फूल माला सजाये वे लिए बढे जाते हैं –और हम न जाने क्यों सब जाना सुना अतीत का अतीत में खोये मन्त्र मुग्ध से प्यार और प्रेम की परिभाषा खोजते एक बियाबान अँधेरे में बढ़ते ही चले जाते हैं तब तक जब तक कि…….
(फोटो फेस बुक /गूगल/नेट से साभार लिया गया )
(फोटो फेस बुक /गूगल/नेट से साभार लिया गया )
हुस्न की देवी को
सर-आँखों से लगा के पूजा !
भक्त पे बरसेंगे कभी फूल
दिल ने था- ये ही सोचा !
कतरे लहू के -कुछ हथेली देखे
दुनिया की बातों को यकीनी पाया !
फूल बन जाते हैं पत्थर भी कभी
सर तो फूटेगा ही ” भ्रमर ”
ओखली में जो डालोगे कभी !!
सर-आँखों से लगा के पूजा !
भक्त पे बरसेंगे कभी फूल
दिल ने था- ये ही सोचा !
कतरे लहू के -कुछ हथेली देखे
दुनिया की बातों को यकीनी पाया !
फूल बन जाते हैं पत्थर भी कभी
सर तो फूटेगा ही ” भ्रमर ”
ओखली में जो डालोगे कभी !!
शुक्ल भ्रमर ५
अब आगे कुछ क्षणिकाओं का सिला …
भ्रमर का झरोखा दर्द-ये -दिल
जल पी बी १८.७.११ – ८ -मध्याह्न
अब आगे कुछ क्षणिकाओं का सिला …
भ्रमर का झरोखा दर्द-ये -दिल
जल पी बी १८.७.११ – ८ -मध्याह्न
सुन्दर, सच के बेहद करीब , बधाई
ReplyDeletesar to aise bhi futega ||
ReplyDeleteokhali me dalne ki bhi jarurat nahin ||
sardardi kam nahi
fir bhi gam nahi
ek ghar par
ek blog par
futne do ham kisi se kam nahi,
sar futouval bhi ek khel lagta hai |
kuchh karte rahne ka ek bhav jagata hai
hindi font uplabdh nahi
ReplyDeletekshama karen
आदरणीय यस यन शुक्ल जी रचना सटीक लगी सुन हर्ष हुआ धन्यवाद
ReplyDelete-शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का झरोखा -दर्द-ए -दिल
रविकर जी मजा आ गया एक घर में एक ब्लॉग में ह हां --हाँ यह खेल तो गजब का है ही --खेलते रहो आर पार ---धन्यवाद
ReplyDelete-शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का झरोखा -दर्द-ए -दिल
रविकर जी --अरे भाई हिंदी बनाने के दो दो उपकरण लगा तो रखे हैं गूगल ट्रांसलिट्रेसन महाराज छोटे वाले तो चलते रहते हैं --धन्यवाद
-शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का झरोखा -दर्द-ए -दिल