BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Tuesday, July 5, 2011

हम देते हैं – हम लेते हैं हम ही तो हैं भ्रष्टाचारी !


हम देते हैं – हम लेते हैं
हम ही तो हैं भ्रष्टाचारी !
हम ही उनको पैदा करते
हम ही बड़े हैं – अत्याचारी !!
पाक-साफ़ पहले खुद होकर
भाई रोज बजाओ घंटी !
ऊँगली एक उठाते उस पर
तीन इशारा तुम पर करती !!
एक बताती – ऊपर तुम हो
कुछ करने को तुम को कहती !!
अपने घर की रोज सफाई
काहे ना ये जनता करती !
वो जो ‘पागल” बौराए हैं
जिनसे डर है हम को लगता !
रोटी उनको हम ही डालें
कौन कहे है ना वो सुनता !!
प्यार में तेरे जो शक्ति है
कर उपयोग मोम तू कर दे !
अगर बना है लोहा फिर भी
चला हथौड़ा सीधा कर दे !!
अंधियारे से उजियारे ला !
दर्पण पग-पग उसे दिखा दे !!
वरना कल जनता जो उसको
चौराहे – खींचे – लाएगी !
भाई -बाप-पुत्र  है  तेरा
पल-पल याद दिलाएगी !!
चुल्लू भर पानी खोजोगे
शर्म तुझे भी आएगी !!
शुक्ल भ्रमर ५ -३.७.२०११
9 पूर्वाह्न जल पी बी


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

8 comments:

  1. प्रगति पंख को नोचता, भ्रष्टाचारी बाज |
    लेना-देना क्यूँ करे , सारा सभ्य समाज ||

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  2. प्रिय रविकर जी बहुत सुन्दर कथन आप के प्रगति पंख ही क्या ये तो पाँव को भी काटने में लगे हैं जिससे गरीब रैली बढे धन्यवाद आप का

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  3. अपने मतलब के समय सब जायज लगता है। यही विड़म्बना है।

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  4. हाँ भाई! बिल्कुल सही कहा आखिर प्रोत्साहन तो हमी - आप देते हैं.
    हमें अवांछनीय कार्यो को दृढ़ता से रोकना होगा. शार्टकट के सारे रास्ते और सुविधाशुल्क के प्रचलन पर दृढ़ता से रोक लगाना होगा. कम से कम हम स्वयं तो यह कार्य न करें. न अपनों को करने दे. संख्या हमारी अवश्य बढ़ेगी. आखिर हम भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार को कब तक सहें........क्यों सहें .......?

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  5. आदरणीय गगन शर्मा जी नमस्कार यही बात तो हम सब को खाए जा रही है अपने मतलब के समय हम आँख बंद क्र लेते है चाहे वह दहेज़ हो चाहे भ्रष्टाचार चाहे और कुछ -..सुधरना होगा हमें ....
    धन्यवाद आप का ..

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  6. आदरणीय तिवारी जी
    अभिनन्दन आप का यहाँ और आभार समर्थन हेतु

    बिलकुल सच कहा आप ने खुद और अपनों को सुधारें धीरे धीरे निश्चित ही हमारी संख्या बढ़ेगी और हम इस सहते घुट घुट के मरते रहने से बच पाएंगे जब हमारा नैतिक उत्थान होगा ..
    शुक्ल भ्रमर ५

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  7. सुषमा जी प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद -कृपया अपना स्नेह यों ही देते रहिये

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५