अरे भागीरथ के गुण गाओ
जिसने इसे उतारा
बड़ी पुन्य पावन ये धारा
सदियों से है तारा
श्वेत हंस सी -माँ-शारद सी
ईमाँ-धर्म ये न्यारा
————————-
धारा ! -जाति धर्म न बाँटो
सूप सुभाय ले छांटो
अच्छा गुण – जो काम में आये
जन हित का हो हर मन भाये
जिसने इसे उतारा
बड़ी पुन्य पावन ये धारा
सदियों से है तारा
श्वेत हंस सी -माँ-शारद सी
ईमाँ-धर्म ये न्यारा
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धारा ! -जाति धर्म न बाँटो
सूप सुभाय ले छांटो
अच्छा गुण – जो काम में आये
जन हित का हो हर मन भाये
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तेरी कश्ती मेरी कश्ती
कल के युवा जवान की कश्ती
सेना और किसान की कश्ती
भारत के हर-जन की कश्ती
डूब न जाएँ -कुटिल चाल से तेरी
नहीं बजा रन-भेरी
———————————-
माना तू है बड़ा खिलाडी
और बड़ा तैराक !
इनमे कितने गांधी -शास्त्री
भगत सिंह-आजाद !!
——————————–
जिनकी एक जुबान हिलने से
क्रूर भंवर रुक जाए
कदम ताल गर चलें मिलाये
ये धरती थर्राए !!
—————————–
इससे पहले घेर तुझे लें
सौ -सौ छोटे नाविक
अरे जगा ले मृतक -ह्रदय को
हमराही हो -संग-मुसाफिर !!
———————————-
क्या जमीर हे मरा तुम्हारा
देश -भेष कुछ नहीं विचारा
उस दधीचि की हड्डी से हे !
थोडा नजर मिलाओ
वज्र से जो तुम ना टूटे तो
मोड़ो धारा -या बह जाओ !!
———————————
शुक्ल भ्रमर ५
जल पी बी २६.८.२०११
तेरी कश्ती मेरी कश्ती
कल के युवा जवान की कश्ती
सेना और किसान की कश्ती
भारत के हर-जन की कश्ती
डूब न जाएँ -कुटिल चाल से तेरी
नहीं बजा रन-भेरी
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माना तू है बड़ा खिलाडी
और बड़ा तैराक !
इनमे कितने गांधी -शास्त्री
भगत सिंह-आजाद !!
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जिनकी एक जुबान हिलने से
क्रूर भंवर रुक जाए
कदम ताल गर चलें मिलाये
ये धरती थर्राए !!
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इससे पहले घेर तुझे लें
सौ -सौ छोटे नाविक
अरे जगा ले मृतक -ह्रदय को
हमराही हो -संग-मुसाफिर !!
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क्या जमीर हे मरा तुम्हारा
देश -भेष कुछ नहीं विचारा
उस दधीचि की हड्डी से हे !
थोडा नजर मिलाओ
वज्र से जो तुम ना टूटे तो
मोड़ो धारा -या बह जाओ !!
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शुक्ल भ्रमर ५
जल पी बी २६.८.२०११
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
एक कठिन परीक्षा के दौर से गुज़र रहा है ये देश।
ReplyDeleteदिव्या जील जी सच कहा आप ने कठिन बहुत है पर उम्मीद है हम सफल होंगे धीरे धीरे ही सही
ReplyDeleteधन्यवाद
भ्रमर ५
बहुत प्रभावी रचना है ... आज के हालात में जरूरत है ऐसी रचनाओं की ...
ReplyDeleteसच्चाई को आपने बड़े ही सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है! शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
संवेदनशील कविता.... बहुत सशक्त अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteप्रिय दिगंबर नासवा जी अभिवादन सच कहा आप ने हमें जोश और होश लाने के लिए बहुत कुछ करना होगा आइये सब मिल ऐसे ही प्रभावशाली माहौल बनायें
ReplyDeleteभ्रमर ५
प्रिय बबली जी रचना में कुछ सच्चाई झलकी आप को कुछ आज के हालत के समर्थन में ये डटी सुन हर्ष हुआ
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
प्रिय अमरेन्द्र जी कविता कुछ शसक्त बन कुछ भावों को उजागर कर सकी सुन ख़ुशी हुयी समर्थन के लिए आभार आइये यों ही मिल कुछ करते बढे चलें
ReplyDeleteभ्रमर ५
आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
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प्रिय बबली जी अभिवादन आप को गणेश चतुर्थी की ढेर साड़ी हार्दिक शुभ कामनाएं
ReplyDeleteधन्यवाद याद करने के लिए ..आज कल थोड़ी व्यस्तता बढ़ गयी है
भ्रमर ५