मै बीमार नहीं-ईमानदार हूँ
कुरुक्षेत्र के मैदान सा
खौफनाक -धंसा चेहरा
टूटी खटिया और मडई में पड़ा
घेरे -अधनंगे
चमकता चेहरा चरित्रवान बच्चे
साधारण जीर्ण वस्त्र में लिपटी
ये मेरी प्यारी गुडिया
अर्थी उठाने नहीं जुटे
मै बीमार नहीं ईमानदार हूँ
ये पढ़ते हैं पास बैठ
मेरे मन को
मेरे दुःख को
मेरे दर्द को
जो मैंने झेला है
घुट-घुट के जिया हूँ
गरल पिया हूँ
मेरे हाथों से छीन
सुधा के प्याले
जब -जब "उन्होंने "-पिया है
चोर-चोर मौसेरे भाई
सच ही कहा है
मेले में अकेले
कोने में पड़ा -पड़ा
तिल-तिल जिया हूँ
साठ साल
गाँधी की आत्मा ले
थाना-कचहरी
स्कूल-अस्पताल
पग-पग पे दलाल-
से - कितना भिड़ा हूँ
मै बीमार नहीं
ईमानदार हूँ ----
ये देख रहे हैं
मेरी जमा पूँजी
मेरी धरोहर
मेरी नजरें
पत्थर से दिल पे
खिले कुछ फूल
मेरी मुस्कान
जो अब भी
सैकड़ों में -
फूंक देती है जान
टटोल रहे हैं
मेरा सोने का दिल
और टटोलें भी क्या ??
वहां टंगा है
एक मैला -कुचैला
खादी का कुर्ता
सौ छेद हुयी जेब ------
मै बीमार नहीं
ईमानदार हूँ ----
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल "भ्रमर"५
०२.०९.२०११ HP
00.५४ पूर्वाह्न
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
मै बीमार नहीं
ReplyDeleteईमानदार हूँ
हमेशा रहे बधाई
आदरणीय कुश्वंश जी अभिवादन ..अच्छा कथन आप का ..हमेशा ईमानदार रहें ...
ReplyDeleteआप की ये शुभ कामना बनी रहे सदा सदा ..
आभार
भ्रमर ५
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
ReplyDeleteप्रिय रविकर जी अभिवादन रचना की प्रस्तुति मन को भाई सुन हर्ष हुआ लिखना सार्थक रहा
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
Surendra ji , Very well written. Quite realistic creation !
ReplyDeleteDivya Zeal ji thank u so much as this post touches ur heart and u found it realistic...glad to hear dis from you
ReplyDeleteBhramar5
Divya ji I'm grateful to you , thanx for your nice words....I am glad that dis creation could touch ur heart
ReplyDeleteShukla Bhramar5