भीष्म -शैय्या पर पड़े
आज आप “भीष्म ” शैय्या पर पड़े
इतने दिन सब कुछ सहे
आराम से खून देते जा रहे हैं
आज आप “भीष्म ” शैय्या पर पड़े
इतने दिन सब कुछ सहे
आराम से खून देते जा रहे हैं
दीजिये -ख़ुशी है
लेकिन हम मच्छर नहीं
की केवल अपना पेट भर के
आप को छोड़ देंगे
हमारी तो पूरी जमात है
घर है परिवार है
और जब आप चेतना शून्य हो जायेंगे
तो हम सब आप के चाहने वालों को
घर परिवार को
आप की जमात को
एक -एक कर
बुला लेंगे
सुला देंगे
इसी शैय्या पर
खून देते रहने के लिए
आप की जमात को
एक -एक कर
बुला लेंगे
सुला देंगे
इसी शैय्या पर
खून देते रहने के लिए
(सभी फोटो साभार गूगल/नेट से लिया गया )
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
२८.७.२०११ जल पी बी
४.२९ पूर्वाह्न
२८.७.२०११ जल पी बी
४.२९ पूर्वाह्न
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
ये भारतीय राजनीती के इटली से आयातित खतरनाक मच्छर है..या तो इन्हें मरो या खुद मरो
ReplyDeleteसुन्दर रचना
प्रिय आशुतोष भाई सच कहा आप ने इस ने तो हर जहर से बचना सीख लिया है बाहर इलाज करा लेता है सब बेकम हो रहे हैं इस पर असर ...
ReplyDeleteअब तो सब को झाड़ू उठा सफाई अभियान में लगना होगा
बहुत गहरी बात कहती व्यंगात्मक पंक्तियाँ....
ReplyDeleteआदरणीय डॉ मोनिका शर्मा जी अभिवादन आप ने कविता में गूढ़ भावों को समझा सराहा आभार आप का आइये सब मिल इस बात को समझें और कुछ करें -भ्रमर ५
ReplyDeleteमदन शर्मा ने कहा…
ReplyDeleteबहुत अच्छा सार्थक चिंतन है !
सहमत हूँ आपसे !!
मेरा निवेदन है आपसे की आप भी बेहतर भारत के लिए 16 अगस्त से अन्ना के आन्दोलन के साथ जुड़ें!
August 09, 2011 4:49 PM
मदन शर्मा ने कहा…
यह अपना नुकसान करके दूसरे से अपनी बात मनवाना एक गांधीवादी तरीका है। एक अहिंसक तरीका है किसी जिद्दी व्यक्ति या संस्था की आत्मा को झकझोरने का। जब अपनी ताकत पर मगरूर संस्थाएं कुछ भी सुनने को तैयार नहीं होतीं, तब ऐसे हथियार का सहारा लिया जाता है।
August 09, 2011 4:51 PM
Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…
मदन भाई बहुत सुन्दर विचार आप के हम आप क्या हम तो सभी से ये गुजारिश करते हैं की जो भी जहाँ कहीं भी हो इस भ्रष्ट व्यस्था के खिलाफ वहीं से अपने क्षेत्र से आवाज बुलंद करे जिस भी क्षेत्र से आप जुड़े हों वहीँ से शुरू हो जाइये .......शायद दिल्ली दूर है ....तो सब का पहुंचना वहां संभव न हो ...पर जो भी काम आप कर सकते हैं अपने स्तर पर उससे पीछे मत हटियेगा
हमारी कोशिश जारी है
भ्रमर ५
August 09, 2011 5:53 PM
बेहतरीन तरीके से मनोदशा का चित्रण किया है..लाजवाब......गहन अनुभूति....
ReplyDeleteसंजय जी -भीष्म शैया पर पड़े रचना में गहन अनुभूति मिली सुन हर्ष हुआ प्रोत्साहन हेतु धन्यवाद आप का
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस और राखी की हार्दिक शुभ कामनाएं
भ्रमर ५