BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Tuesday, August 16, 2011

भ्रष्ट -चोर को चोर कहें ना ये कैसी आजादी ??


कैसा अपना लोकतंत्र है ??
कैसी लोकशाही ????
भ्रष्ट -चोर को चोर कहें ना
ये कैसी आजादी ??
आओ मिलकर शोर मचाएं
चीख -चीख हम रोयें
images
(फोटो साभार गूगल /नेट से लिया गया )
———————–
पेट पे लात मार जो बैठा
क्या राजा कहलाये ?
बड़ी-बड़ी कोठी वो बैठा
झुग्गी नजर गडाए !!
आओ मिलकर शोर मचाएं
चीख -चीख हम रोयें
——————————-
मरते भूखे-कृषक -युवा हैं
मरते कोख में बच्चे
भूख अभी भी मुख्य समस्या
कैसी नीति बनाये
सौ सौ गार्ड के बीच चले हैं
जन-सेवक कहलाये ?
आओ मिलकर शोर मचाएं
चीख -चीख हम रोयें
————————
महगाई भ्रष्टाचारी से
दे दो हमें निजात
या अनशन भूखे मरने दो
सुन लो हमरी बात
कैसा न्याय कहाँ हैं मंत्री
दूध पिला हमने जो भेजे
“डसते ” देश यही क्या संतरी
रक्त-बीज हैं दस दस फैले
आओ मिलकर शोर मचाएं
चीख -चीख हम रोयें
————————————
कला धन-काली तेरी कमाई
मुह भी काला कर अपना !
श्वेत वस्त्र वो टोपी छोडो
भारत-भारती श्वेत हंस -जनता प्यारी से
दूर हटो तुम
दूर हटो तुम ………
चीख -चीख अपना कहना !!
आओ मिलकर शोर मचाएं
चीख -चीख हम रोयें
—————————-
धैर्य हमारा टूट न जाये
लग जाए ना आग
अभी होश में आ जाओ
या भाग सके तो भाग
अब मैराथन शुरू हो गयी
लम्बी चले लड़ाई
गुरु -”माँ” की कुछ सीख बची तो
धर्म -न्याय का राह पकड ले
बन रक्षक कहलाये भाई !!
आओ मिलकर शोर मचाएं
चीख -चीख हम रोयें !!
———————————
शुक्ल भ्रमर ५
जल पी बी
१७.८.२०११



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

7 comments:

  1. ये त्रासदी से कम नहीं है।

    ReplyDelete
  2. प्रिय संदीप जी सच कहा आप ने त्रासदी से कम नहीं पर इससे उबरना तो है न --आओ जोर से हाथ पैर मारें तैर जाएँ ...भ्रमर ५

    ReplyDelete
  3. बहुत ही अच्छा लिखा है.....
    उम्दा प्रस्तुती!

    ReplyDelete
  4. आपका ब्लॉग अछा लगा
    आज से फॉलो कर रहा हूँ !!

    जय हिंद जय भारत

    आपका सवाई सिंह

    ReplyDelete
  5. प्रिय सवाई सिंह राजपुरोहित जी अभिवादन और अभिनन्दन आप का भ्रमर का दर्द और दर्पण में -रचना मन को भायी आप के और आप ने इस का समर्थन किया ख़ुशी हुयी
    आभार
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  6. धैर्य हमारा टूट न जाये
    लग जाए ना आग
    अभी होश में आ जाओ
    या भाग सके तो भाग
    अब मैराथन शुरू हो गयी
    लम्बी चले लड़ाई
    गुरु -”माँ” की कुछ सीख बची तो
    धर्म -न्याय का राह पकड ले
    बन रक्षक कहलाये भाई !!
    आओ मिलकर शोर मचाएं
    चीख -चीख हम रोयें !!

    bahut hi achee abhvyakti surendraji..aapka abhar.

    ReplyDelete
  7. डॉ सुशीला गुप्ता जी आभार आप का जिन चाँद लाईनों का आप ने जिक्र किया जो आप को अच्छी लगीं अभी वही स्थिति सामने है मैराथन शुरू दीप जल गया झंडा फहरा गया आइये सब मिल विजय पायें चीखें आवाज बुलंद करें -भ्रमर ५

    ReplyDelete

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५