भीड़ इकट्ठी होती है
शोर मचाती है
ढोल पीटती है
लेकिन उसकी लाल आँखें
बड़ी सींग
अपार शक्ति देख
कोई पास नहीं फटकता
कभी कुछ शांत निडर
खड़ा हो देखता
कान उटेर सब सुनता रहता
कभी कुछ दूर भाग भी जाता
शोर मचाती है
ढोल पीटती है
लेकिन उसकी लाल आँखें
बड़ी सींग
अपार शक्ति देख
कोई पास नहीं फटकता
कभी कुछ शांत निडर
खड़ा हो देखता
कान उटेर सब सुनता रहता
कभी कुछ दूर भाग भी जाता
लेकिन ये “भैंसा”
गैंडा सा मोटा चमड़ा लिए
जिस पर की लाठी -डंडे -
तक का असर नहीं
खाता जा रहा
खलिहान चरता जा रहा
गैंडा सा मोटा चमड़ा लिए
जिस पर की लाठी -डंडे -
तक का असर नहीं
खाता जा रहा
खलिहान चरता जा रहा
अब तो ये अकेला नहीं
“झुण्ड ” बना टिड्डी सा
यहाँ -वहां टूट पड़ता !!
“झुण्ड ” बना टिड्डी सा
यहाँ -वहां टूट पड़ता !!
( सभी फोटो गूगल/ नेट से साभार लिया गया )
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल “भ्रमर ”
5.04 पूर्वाह्न जल पी बी
०६.०८.२०११
5.04 पूर्वाह्न जल पी बी
०६.०८.२०११
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
भैंसा चारे के अलावा क्या-क्या खा रहा है ?
ReplyDeleteभैसें-पन को मार चाहिए |
पीठ पे इसके भार चाहिए |
अंकुश बिन चर जाएगा सब,
इसका प्रथम-सवार चाहिए ||
मतलब यमराज ||
प्रिय रविकर जी आभार प्रतिक्रिया के लिए -सुन्दर -ये चारे को छोड़ बाकी सब खा ले रहा है लगता है इसने भी रावण सा यमराज को ही बाँध लिए क्या ?
ReplyDeleteभ्रमर ५
क्या बात भ्रमर भाई। एक दम अलग सोच के साथ बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteप्रिय मनोज जी अभिवादन बिलकुल आज की तरोताजा स्थिति मोटा चमडा मार डंडे की भी परवाह नहीं गुट बनाये चढ़े चलो बढे चलो -
ReplyDeleteधन्यवाद आप का गूढ़ विन्दु तक जाने के लिए
nice post
ReplyDeleteमित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
एस .एन. शुक्ल
आदरणीय मित्र एवं भ्राता श्री यस यन शुक्ल जी आप को भी मित्रता दिवस पर ढेर सारी शुभ कामनाएं
ReplyDeleteआप की दुवाएं सर आँखों पर
भ्रमर ५