श्वेत वस्त्र- एक टोपी-
खादी -सूखी रोटी
बड़ी लडाई लड़ते आया
मरते-मरते बचते आया
दो चार लोग पीठ ठोंक
आगे झोंक देते
हम देख लेंगे
पीछे हैं हम आप के
नगाड़ा पीटिये
ढोल बजाइए
थाली बजाइए
खादी -सूखी रोटी
बड़ी लडाई लड़ते आया
मरते-मरते बचते आया
दो चार लोग पीठ ठोंक
आगे झोंक देते
हम देख लेंगे
पीछे हैं हम आप के
नगाड़ा पीटिये
ढोल बजाइए
थाली बजाइए
बहरों को जगाइए
आवाज बुलंद हो
संसद हिल जाए
जनता खिल जाए
जनता मालिक है
अपने पसीने की – खाने का
अधिकार है –
भूखे को अनशन का !
खुद बोया तो खुद काटे
काहे काले कौवों को बाँटें !
—————————
भीड़ जुटी -एक-दस-सौ -लाख
आवाज बुलंद हो
संसद हिल जाए
जनता खिल जाए
जनता मालिक है
अपने पसीने की – खाने का
अधिकार है –
भूखे को अनशन का !
खुद बोया तो खुद काटे
काहे काले कौवों को बाँटें !
—————————
भीड़ जुटी -एक-दस-सौ -लाख
रावण का पुतला जलाने को
तमाशा-राम और रावण
महाभारत बनाने को
दो मुहे सांप-मीडिया-बाजीगरी
————————————–
पर अगले कुछ पल थे भारी !
धमाका -धुंआ -धुन्ध
चीख पुकार द्वन्द
रावण – राक्षस बिखर गए !
रक्त-बीज बन -फिर
जम गए -थम गए !!
अँधेरे कोहराम धुन्ध के आदी थे
और उधर मैदान-ए-जँग में -बाकी थे
“एक” अभिमन्यु
चरमराता हमारा ढाँचा
मै -मेरी खाल-मेरी ढोल
जिसमे था बड़ा पोल
आवाज ही आवाज बस
पीछे मेरे दस लाख करोड़ से
करोड़ -लाख-दस जा चुके थे
कहाँ ये कंगाल के साथ कब रहे हैं ???
शिखंडी-दुर्योधन-धृत-राष्ट्र
बेचारी ये जनता ये अधमरा राष्ट्र
————————————–
और पानी की तेज बौछार
ने मेरी आँखें खोल दी
धूल चाटते कीचड में सना पड़ा मै
जन गण मन अधिनायक जय हे !!!
गाता -कराह उठा !!!
तमाशा-राम और रावण
महाभारत बनाने को
दो मुहे सांप-मीडिया-बाजीगरी
————————————–
पर अगले कुछ पल थे भारी !
धमाका -धुंआ -धुन्ध
चीख पुकार द्वन्द
रावण – राक्षस बिखर गए !
रक्त-बीज बन -फिर
जम गए -थम गए !!
अँधेरे कोहराम धुन्ध के आदी थे
और उधर मैदान-ए-जँग में -बाकी थे
“एक” अभिमन्यु
चरमराता हमारा ढाँचा
मै -मेरी खाल-मेरी ढोल
जिसमे था बड़ा पोल
आवाज ही आवाज बस
पीछे मेरे दस लाख करोड़ से
करोड़ -लाख-दस जा चुके थे
कहाँ ये कंगाल के साथ कब रहे हैं ???
शिखंडी-दुर्योधन-धृत-राष्ट्र
बेचारी ये जनता ये अधमरा राष्ट्र
————————————–
और पानी की तेज बौछार
ने मेरी आँखें खोल दी
धूल चाटते कीचड में सना पड़ा मै
जन गण मन अधिनायक जय हे !!!
गाता -कराह उठा !!!
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल “भ्रमर”५
००.२३ पूर्वाह्न
१०.०८.२०११ जल पी बी
००.२३ पूर्वाह्न
१०.०८.२०११ जल पी बी
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
बहुत सुन्दर रचना ,सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteआदरणीय यस यन शुक्ल जी हार्दिक अभिवादन -
ReplyDeleteरचना पसंद आयी आप ने इस के अंतर्निहिती भावों को समझा सुन हर्ष हुआ काश हमारे सभी प्रिय बंधू इस को ऐसे ही लें
आभार प्रोत्साहन हेतु
भ्रमर ५
भ्रमर जी आप मेरे ब्लॉग पर आये , स्वागत है विचारों का यह संपर्क निरंतर बना रहेगा, ऐसी अपेक्षा है , धन्यवाद .
ReplyDeleteअरे कमाल का लिखा है आज तो……………मेरे पास तो शब्द कम पड गये है तारीफ़ के लिये…………अद्भुत्।
ReplyDeleteआदरणीय शुक्ल जी अच्छाई को तो सर आँखों पर बिठाना ही चाहिए -धन्यवाद आप का
ReplyDeleteप्रिय संजय जी आभार आप का प्रोत्साहन हेतु आइये आपने छोटे हाथों को जितनी दूर फैला सकें -प्यारी प्रतिक्रिया आप की इस समय कुछ लिखिए ...
ReplyDeleteभ्रमर ५
aapki rachna ne to nihshabd kar diya kya kahun taareef ke liye shabd kam pad rahe hain.aapke precious comment ki aabhari hoon.yeh sneh banaaye rakhiyega.
ReplyDeleteआदरणीय राजेश कुमारी जी आप की सुंदर प्रतिक्रिया इस हालात के मद्दे नजर -जब की इसको सब के समर्थन की अति आवश्यकता है अपना सुझाव व् समर्थन बनाये रखें -भ्रमर ५
ReplyDeleteप्रिय अरुणेश सी दवे जी भरमार का दर्द और दर्पण को आप का समर्थन मिला -आप का अभिनन्दन है -आभार -भ्रमर ५
ReplyDeleteअन्ना के हैं आदमी चार जिनसे डरती है सरकार .अच्छी कलम चलाई है ,अधमरे राष्ट्र की स्मृति लौट आई है .......
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी आपकी मौजूदगी अपेक्षित है -http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_9034.हटमल
Friday, August 12, 2011
रजोनिवृत्ती में बे -असर सिद्ध हुई है सोया प्रोटीन .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
बृहस्पतिवार, ११ अगस्त २०११
Early morning smokers have higher cancer रिस्क.
रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.
ReplyDeleteप्रिय शुक्ल जी और आदरणीय वीरुभायी जी
ReplyDeleteआभार आप सब का -देश प्रेम को सर आँखों पर बिठाने के लिए
आप सब को भी राखी और स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं
धन्यवाद आप का
भ्रमर५