BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Thursday, June 30, 2011

कौवे चार वहां बैठे हैं सोना चोंच मढ़ाये

(जागरण  जंक्सन  दिनांक ३०.०६.२०११ -हमारे सभी पाठकों और जागरण जंक्सन को हार्दिक आभार ये सम्मान देने के लिए -भ्रमर५ ) कृपया ये उपर्युक्त रचना हमारे दूसरे ब्लॉग  भ्रमर की माधुरी में पढ़ें, http://surendrashuklabhramar.blogspot.com )

कौवे चार वहां बैठे हैं 
सोना चोंच मढ़ाये 
उड़ उड़ मैले पर मुह मारें 
काग-भुसुंडी बन बतियाएं !!
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शेर वही जो बाहर निकले 
भूख लगे-बस -खाना खाए 
कुछ पिजड़े में गीदड़ जैसे 
नोच-खसोट-के गरजे जाएँ !!
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हठी मस्त है घर-घर घुमे 
कुत्ते भौं भौं भौंके जाएँ
कभी सामने आ कर भौंको 
मारीचि से तुम तर जाओ !!
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ये घर अपना एक मंदिर है 
देव -देवियाँ पूत बहुत हैं 
कर -पवित्र-आ-दीप जलाना
राक्षस -वन-मुह नहीं दिखाना !!
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अभी वक्त है खा लो जी भर 
लिए कटोरा फिर आना 
अपना दिल तो बहुत बड़ा है 
चमचे-चार-भी संग ले आना !!
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उन जोंकों संग -लिपट रहो ना 
खून चूस लेंगी सारा 
होश अगर जल्दी कुछ करना 
नमक डाल-कुछ नमक खिलाना !!
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नदी तीर एक सेज सजी है 
आग दहकती धुँआ उठा है 
जिनके दिल से खून रिसा है 
दंड लिए सब जुट बैठे हैं 
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शुक्ल भ्रमर ५
२९.०६.२०११
जल पी बी 





दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

12 comments:

  1. बहुत बहुत बधाइयाँ ..
    इश्वर आप की लेखनी को ऐसे ही प्रखर बनाये

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  2. आपकी इस रचना का शब्द "काग बुसंडी" एक ताल का भी नाम है,
    और आपसे मुझे प्ररेणा मिल रही है कि वहाँ पर जाना चाहिए

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  3. उन जोंकों संग -लिपट रहो ना
    खून चूस लेंगी सारा
    होश अगर जल्दी कुछ करना
    नमक डाल-कुछ नमक खिलाना

    sandesh mil gaya tha --

    sabhi ko bata diya ??

    post karne me khub problem aai dinbhar. abhi bhi .

    ravikar

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  4. आशुतोष भाई बहुत बहुत धन्यवाद आप का -आप की दुवाएं और प्रोत्साहन हमारे साथ यों ही बना रहे
    आभार आप का
    शुक्ल भ्रमर ५

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  5. संदीप जी अभिवादन जरुर जाइये काग भुसुंडी से मिल देख आइये और उन्हें समझिए हमें भी नजारा दिखाइए
    शुभ कामनाएं
    शुक्ल भ्रमर ५

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  6. रविकर जी अभिवादन -
    हाँ आप का सन्देश अच्छा लगा था तो सोचा जग जाहिर कर दिया जाये -ठीक रहा न
    कभी कभी ब्लागर को कुछ कुछ ....हो जाता है -
    धन्यवाद
    शुक्ल भ्रमर ५

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  7. डॉ मोनिका शर्मा जी हार्दिक अभिवादन आप का -इसी तरह से अपना स्नेह , सुझाव व् समर्थन मिलता रहेगा यही उम्मीद है
    शुक्ल भ्रमर ५

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  8. surendra ji
    aapki prastuti nisahdeh vyangatamak aur sateetatmak bhi hai .aapne is rachna ke dwara kai anchhue pahluo ko ujagar kiya hai .
    bahut bahut badhai
    poonam

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  9. आदरणीया पूनम जी प्रोत्साहन और रचना के मर्म गूढ़ भावों को समझने के लिए आभार आप का अपना स्नेह बनाये रखें -भ्रमर ५

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  10. आदरणीया प्रार्थना जी हार्दिक अभिवादन -प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया -भ्रमर ५

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५