भ्रष्टाचारी भारत में -रह लो ??
नहीं -कहेंगे-भारत छोडो …
गोरे होते तो कह देते
“काले” हो तुम-भाई -मेरे
शर्म हमें -ये “नारा’ देते
नहीं -कहेंगे-भारत छोडो …
गोरे होते तो कह देते
“काले” हो तुम-भाई -मेरे
शर्म हमें -ये “नारा’ देते
———————-
ये आन्दोलन बहुत बड़ा है
खून –पसीना- सभी लगा है !
बहने -भाई -बाप तुम्हारा
बेटा देखो साथ खड़ा है !!
—————————
हम चाहें तो गरजें बरसें
आंधी तूफाँ कहर दिखाएँ
चपला सी गिर राख बनायें
इतने महल जो भूखे रख के
तुमने बासठ साल बनाये
मिनट में सारे ढहा दिखाएँ
शांत सिन्धु लहराते आयें
और सुनामी हम बन जाएँ !!
—————————-
कदम -ताल में शक्ति हमारे
कांपें भू -वो जोश दिखाएँ
पांच पञ्च के हम सब प्यारे
न्याय अहिंसा के मतवारे
लाठी गोली की आदत तो
वीर शहीदों ने सिखलाये
—————————
भूखे अनशन पर हम बैठे
लूटे जो -कुछ उसे बचाएं ??
गाँधी -अन्ना भूखे बैठे
भ्रष्टाचारी किस-मिस खाएं
जो ईमान की बात भी कर दे
छलनी गोली से हो जाए
——————————–
हे रक्षक ना भक्षक बन जा
गेहूं के संग घुन पिस जाएँ
क्या चाहे तू यज्ञं कराएं
तक्षक -नाग-सांप जल जाएँ
————————————
हमसे भाई “भेद ” रखो ना
घर में रह के “सेंध” करो ना
जिस थाली में खाना खाते
काहे छेद उसी को डाले
—————————
कल बीबी बेलन ले दौड़े
बेटा -गला दबाने दौड़े
दर्पण देख के तुझको रोये
तू क्या चाहे ?? ऐसा होए ??
————————————–
शुक्ल भ्रमर ५
२५.०८.२०११ जल पी बी
ये आन्दोलन बहुत बड़ा है
खून –पसीना- सभी लगा है !
बहने -भाई -बाप तुम्हारा
बेटा देखो साथ खड़ा है !!
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हम चाहें तो गरजें बरसें
आंधी तूफाँ कहर दिखाएँ
चपला सी गिर राख बनायें
इतने महल जो भूखे रख के
तुमने बासठ साल बनाये
मिनट में सारे ढहा दिखाएँ
शांत सिन्धु लहराते आयें
और सुनामी हम बन जाएँ !!
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कदम -ताल में शक्ति हमारे
कांपें भू -वो जोश दिखाएँ
पांच पञ्च के हम सब प्यारे
न्याय अहिंसा के मतवारे
लाठी गोली की आदत तो
वीर शहीदों ने सिखलाये
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भूखे अनशन पर हम बैठे
लूटे जो -कुछ उसे बचाएं ??
गाँधी -अन्ना भूखे बैठे
भ्रष्टाचारी किस-मिस खाएं
जो ईमान की बात भी कर दे
छलनी गोली से हो जाए
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हे रक्षक ना भक्षक बन जा
गेहूं के संग घुन पिस जाएँ
क्या चाहे तू यज्ञं कराएं
तक्षक -नाग-सांप जल जाएँ
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हमसे भाई “भेद ” रखो ना
घर में रह के “सेंध” करो ना
जिस थाली में खाना खाते
काहे छेद उसी को डाले
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कल बीबी बेलन ले दौड़े
बेटा -गला दबाने दौड़े
दर्पण देख के तुझको रोये
तू क्या चाहे ?? ऐसा होए ??
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शुक्ल भ्रमर ५
२५.०८.२०११ जल पी बी
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
पर राह अभी कठिन है..डिगे तो गए!
ReplyDeleteप्रिय प्रतीक माहेश्वरी जी अभिवादन और अभिनन्दन राह तो कठिन बनायीं जा रही है अग्नि परीक्षा है अन्ना की जान पर बन आयी है आइये सब मिल कुछ करें ....और आशावान रहें
ReplyDeleteभ्रमर ५
श्रेष्ठ रचनाओं में से एक ||
ReplyDeleteबधाई ||
अमर -अन्ना भाई ,भ्रमर अन्ना भाई !आपने हम सबकी बात कह दी है ,जन जन की साध कह दी है .....प्रासंगिक मौजू हमारे वक्त का यथार्थ है यह पोस्ट ,खुशखबरी ही नहीं बड़ी खबर है "चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ "जन -अन्ना -लोकपाल बिल की वकालत कर रहें हैं .जय सेना ,जय भारत ,जय जय अन्ना ...
ReplyDeleteबृहस्पतिवार, २५ अगस्त २०११
बहुत देर कर दी हुज़ूर आते आते ......
http://veerubhai1947.blogspot.com/
Friday, August 26, 2011
"बद" अच्छा "बदनाम" बुरा...
"बद अच्छा ,बदनाम ,बुरा
बिन पैसे ,इंसान बुरा ,
काम सभी का ,एक ही है ,पर मनमोहन का नाम बुरा .------
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
प्रिय रविकर जी इस रचना को आप ने सराहा भरपूर समर्थन दिया हम ऐसी ही आशा अपने हर जन से करते है आइये सब मिल हाथ बढ़ाएं भ्रष्टाचारी को उनका मुह दिखाएँ
ReplyDeleteआभार भ्रमर ५
आदरणीय वीरू भाई हम चाहते हैं की सब वीरू भाई बनें सब अन्ना बने सब चीफ आफ आर्मी स्टाफ को देखें सुनें अनुकरण करें अब हमें जय सेना जय जवान मिल गए हैं जय किसान भी और जोर लगाएं और अपना भविष्य बचाएं
ReplyDeleteआभार आप का
भ्रमर ५
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ!शुभकामनाएं.
ReplyDeleteप्रिय अंकित पाण्डेय जी रचना की हर पंक्ति आप के मन को भायी कुछ भाव उजागर कर सकी भ्रष्टाचारियों की सुन हर्ष हुआ -आभार आप का समर्थन हेतु
ReplyDeleteभ्रमर ५