BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Tuesday, October 5, 2021

हिंसा का औचित्य कहां अब


हिंसा का औचित्य कहां अब
सन्मुख बैठो बात करो
उठा तिरंगा शांति दूत बन
पीछे ना आघात करो
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राज तंत्र से मन खट्टा जो
न्याय तंत्र विश्वास करो
काले गोरे नहीं लड़ाई
अपने सब तुम ध्यान रखो
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कट्टरता आतंक है खांई
खोल आंख पहचान करो
तेरा मेरा घर ना भाई
काल अग्नि सम ध्यान धरो
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दंभ वीरता का ना भरना
उनकी मां भी वीर जनी हैं
अस्त्र शस्त्र सब राख ही होना
दावानल की नही कमी है
.......
सागर है उस पार नहीं कुछ
भ्रम मत पालो बढ़े चलो
कुछ मांझी तैराक बहुत हैं
साथ चलो कुछ मोती ढूंढो
.........
दीवाली का दिया जलाओ
घर आंगन कुटिया रहने दो
दर्द दिए मां नही रुलाओ
अश्रु प्रलय से जग बचने दो
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सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश 
भारत। 5.10.2021



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५