Sunday, October 31, 2021
धन्यवाद हे प्रभु तुम्हे है
धन्यवाद हे प्रभु तुम्हे है
मानव कर सब दिया खजाना।
तू ही जाने क्यों भेजा है
मुझको तो बस करते जाना
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धन्यवाद अम्मा बाबू का
मिट्टी से सच घड़ा बनाया
लाखों कष्ट सहे होंगे पर
सच्चरित्र गुण सभी सिखाया
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प्रथम गुरु संग सभी गुरु का
धन्यवाद करते ना थकता
अज्ञानी मैं मूढ़ बड़ा था
प्रभु रहस्य आनंदित रहता
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धन्यवाद सब जीव जगत हे!
प्रकृति गोद सब मिल कर खेले
खुशी खुशी कल पंच तत्व में
कुछ रहस्य दे के फिर ले ले
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धन्यवाद सब सखा सहेली
मूक क्या वरने गुड़ की भेली
तरु पादप हम प्रभु ही माली
भूमंडल बस एक पहेली
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धन्यवाद है मां शारद की
ज्योति जगत फलदाई देखा
चातक सी बस प्यास ज्योति की
कर्म प्रबल पर मिटे न रेखा
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आओ खेलें झूमें बोलें
सीखे उनसे हैं प्रभु मूरत
घृणा क्रोध ईर्ष्या से बच लें
खो जाएं हम प्रभु की सूरत।
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सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश
भारत।
1.11.2021
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५