Saturday, October 30, 2021
लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल
मित्रों एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना के साथ हमारे देश को एकता के सूत्र में बांध देने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जयंती आज देश भर में मनाई जा रही है , उन्हे हम सब की तरफ से शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि।
सरदार पटेल जी का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था। वे खेड़ा जिले के कारमसद में रहने वाले झावेर भाई और लाडबा पटेल की चौथी संतान थे। 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वल्लभ भाई की शादी झबेरबा से हुई थी। पटेल जब सिर्फ 33 साल के थे, तब उनकी पत्नी का निधन हो गया था।
अध्यापक छात्रों को पुस्तकें बेंचते थे इसका उन्होंने विरोध किया और ये प्रथा खत्म हुई।
1918 में सूखा पड़ने पर किसानों के कर राहत के लिए उन्होंने संघर्ष किया अंग्रेजों से, इस आंदोलन की अगुवाई की।
देश की स्वतंत्रता के पश्चात सरदार पटेल उपप्रधानमंत्री के साथ प्रथम गृह, सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री भी थे। सरदार पटेल के निधन के 41 वर्ष बाद 1991 में उन्हे भारत का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान भारतरत्न दिया गया।
आर्थिक तंगी के कारण उनकी पढ़ाई में बहुत समय लगा था 22 वर्ष में 10वीं पास कर पाए थे , वकील बनने के लिए महाविद्यालय में प्रवेश नहीं ले पाए तो एक परिचित वकील से किताबें ले कर व्यक्तिगत रूप से पढ़ाई की , इंग्लैंड में वकालत पढ़ने के बाद भी उनका ध्यान केवल पैसा कमाने की तरफ नहीं गया। सरदार पटेल 1913 में भारत लौटे और अहमदाबाद में अपनी वकालत शुरू की। जल्द ही वे लोकप्रिय हो गए। अपने मित्रों के कहने पर पटेल ने 1917 में अहमदाबाद के सैनिटेशन कमिश्नर का चुनाव लड़ा और उसमें उन्हें जीत भी हासिल हुई।
गांधी जी की इच्छा के कारण वे प्रधानमंत्री नही बने और नेहरू जी को अवसर दिया
गृहमंत्री के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता देसी रियासतों (राज्यों) को भारत में मिलाना था। इस काम को उन्होंने बखूबी निभाया। भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान के लिए उन्हे भारत का 'लौहपुरुष' के रूप में जाना जाता है। सरदार पटेल की महानतम देन थी 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना।
उनकी याद को अविस्मरणीय और जीवंत रखने हेतु गुजरात में नर्मदा के सरदार सरोवर बांध के सामने उनकी 182 मीटर ऊंची भव्य लौह प्रतिमा का निर्माण किया गया है।
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
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सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५