महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना (BEST CREATION OF THE MONTH)- ओ बी ओ पर
शीर्षक :- उगता सूरज -धुंध में लेखक:- सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर' वर्तमान स्थान:- कुल्लू (हि.प्र.)
पुरस्कार का नाम :- "महीने की सर्वश्रेष्ट रचना पुरस्कार"पुरस्कार की राशि :- रु. 551/- मात्र
प्रायोजक :- गोल्डेन बैंड इंटरटेनमेंट (G-Band ) H.O.F-315, Mahipal Pur-Ext. New Delhi.
पुरस्कार का नाम :- "महीने की सर्वश्रेष्ट रचना पुरस्कार"पुरस्कार की राशि :- रु. 551/- मात्र
प्रायोजक :- गोल्डेन बैंड इंटरटेनमेंट (G-Band ) H.O.F-315, Mahipal Pur-Ext. New Delhi.
हमारे सभी प्रिय मित्रों का तहे दिल से आभार ...भ्रमर 5
उगता सूरज -धुंध में
-----------------
कर्म फल -गीता
क्रिया -प्रतिक्रिया
न्यूटन के नियम
आर्किमिडीज के सिद्धांत
पढ़ते-डूबते-उतराते
हवा में कलाबाजियां खाते
नैनो टेक्नोलोजी में
खोजता था -नौ ग्रह से आगे
नए ग्रह की खोज में जहां
हम अपने वर्चस्व को
अपने मूल को -बीज को
सांस्कृतिक धरोहर को
किसी कोष में रख
बचा लेंगे सब -क्योंकि
यहाँ तो उथल -पुथल है
उहापोह है ...
सब कुछ बदल डालने की
होड़ है -कुरीतियाँ कह
अपनी प्यारी संस्कृति और नीतियों की
चीथड़े कर डालने की जोड़ -तोड़ है
बंधन खत्म कर
उच्छ्रिंख्ल होने की
लालसा बढ़ी है पश्चिम को देख
पूरब भूल गया -उगता सूरज
धुंध में खोता जा रहा है
कौन सा नियम है ?
क्या परिवर्तन है ?
सब कुछ तो बंधा है गोल-गोल है
अणु -परमाणु -तत्व
हवा -पानी -बूँदें
सूरज चंदा तारे
अपनी परिधि अपनी सीमा
जब टूटती है -हाहाकार
सब बेकार !
आँखों से अश्रु छलक पड़े
अब घर में वो अकेला बचा था
सोच-व्याकुलता-अकुलाहट
माँ-बाप भगवान को प्यारे
भाई-बहन दुनिया से न्यारे
चिड़ियों से स्वतंत्र हो
उड़ चले थे ...............
फिर उसे रोटियाँ
भूख-बेरोजगारी
मुर्दे और गिद्ध
सपने में दिखने लगते
और सपने चकनाचूर
भूख-परिवर्तन -प्रेम
इज्जत -आबरू
धर्म -कानून-अंध विश्वास
सब जंजीरों में जकड़े
उसे खाए जा रहे थे .....
-------------------------------
३.०२-३.४५ पूर्वाह्न
कुल्लू यच पी १३.०२.२०१२
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
सार्थक रचना .... बधाई आपको...
ReplyDeleteशुभ कामनाएं बंधू ||
ReplyDeleteसर्वश्रेष्ट रचना का पुरस्कार जीतने की बधाई.,,,,
ReplyDeleteMY RECENT POST...:चाय....
indeed a beautiful creation..badhaii...
ReplyDeleteआदरणीया डॉ मोनिका जी आभार प्रोत्साहन हेतु ..भ्रमर५
ReplyDeleteआदरणीय रविकर जी आप की शुभ कामनाओ के लिए बहुत बहुत आभार..अपना स्नेह बरसाते रहें --भ्रमर ५
ReplyDeleteप्रिय धीरेन्द्र जी आप सब का स्नेह मिलता रहेगा तो आप सब से ये सब उम्मीदें बनी रहेंगी अपना स्नेह सुर सुझाव देते रहें कृपया
ReplyDeleteभ्रमर ५
आदरणीया दिव्या 'जील' जी ये रचना सचमुच आप को इस लायक लगी की पुरस्कार मिले सुन ख़ुशी हुयी लिखना सार्थक रहा
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
बहुत सुन्दर रचना, सुन्दर भाव , बधाई .
ReplyDeleteआदरणीय शुक्ल जी ये हमारे युवाओं की समस्याएं लिए रचना आप के मन को प्रभावित कर सकी सुन ख़ुशी हुयी
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५