बूढा पेड़
झर-झर झरता
ये पेड़ (महुआ का )
कितना मन-मोहक था
झर-झर झरता
ये पेड़ (महुआ का )
कितना मन-मोहक था
‘बड़ा’ प्यारा पेड़
‘अपने’ के अलावा
पराये का भी
प्यार पाता था
हरियाता था
फूल-फल-तेल
त्यौहार
मनाता था
थम चुका है
अब वो सिल-सिला
बचा बस शिकवा -गिला
फूल-फल ना के बराबर
मन कचोटता है ……
आखिर ऐसा क्यों होता है ??
सूखा जा रहा है
पत्ते शाखाएं हरी हैं
‘कुछ’ कुल्हाड़िया थामे
जमा लोग हंसते-हंसाते
वही – ‘अपने’- ‘पराये’
काँपता है......
ख़ुशी भी.....
ऊर्जा देगा अभी भी
‘बीज’ कुछ जड़ें पकड़ लिए हैं
‘पेड़’ बनेंगे कल
फिर ‘मुझ’ सा
‘दर्द’ समझेंगे !
आँखें बंद कर
धरती माँ को गले लगाये
झर-झर नीर बहाए
चूमने लगा !!
( सभी फोटो गूगल नेट से साभार लिया गया )
‘अपने’ के अलावा
पराये का भी
प्यार पाता था
हरियाता था
फूल-फल-तेल
त्यौहार
मनाता था
थम चुका है
अब वो सिल-सिला
बचा बस शिकवा -गिला
फूल-फल ना के बराबर
मन कचोटता है ……
आखिर ऐसा क्यों होता है ??
सूखा जा रहा है
पत्ते शाखाएं हरी हैं
‘कुछ’ कुल्हाड़िया थामे
जमा लोग हंसते-हंसाते
वही – ‘अपने’- ‘पराये’
काँपता है......
ख़ुशी भी.....
ऊर्जा देगा अभी भी
‘बीज’ कुछ जड़ें पकड़ लिए हैं
‘पेड़’ बनेंगे कल
फिर ‘मुझ’ सा
‘दर्द’ समझेंगे !
आँखें बंद कर
धरती माँ को गले लगाये
झर-झर नीर बहाए
चूमने लगा !!
( सभी फोटो गूगल नेट से साभार लिया गया )
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल ‘भ्रमर’५
कुल्लू यच पी २५.६.१२
८-८.३३ पूर्वाह्न
कुल्लू यच पी २५.६.१२
८-८.३३ पूर्वाह्न
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आप का प्रिय रविकर जी ..बुढ़ापे को सहारा मिलना और जोश देना होगा ...
ReplyDeleteभ्रमर ५
बहुत सुंदर भावाव्यक्ति बधाई
ReplyDeleteआदरणीय सुनील जी धन्यवाद ..रचना कुछ दर्द बुढ़ापे का दिखा सकी और ये भाव व्यक्त हो सके सुन ख़ुशी हुयी
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
वाह ,,,, बहुत बढ़िया प्रस्तुती, सुंदर रचना,,,,सुरेन्द्र जी,,
ReplyDeleteRECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,
बहुत ही मार्मिक एवं संवेदनशील रचना...
ReplyDeleteसंवेदनशील अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteप्रकृति के दर्द को आधार बनाकर बहुत सुन्दर सन्देश दिया है रचना में जड़ों को सूखने नहीं देना चाहिए तभी तो नई कोंपले निकलेंगी
ReplyDeleteआदरणीय डॉ सुशील कुमार जी अभिवादन
ReplyDeleteरचना आप के मन को छू सकी सुन ख़ुशी हुयी आभार
भ्रमर ५
आदरणीय सुनील जी जय श्री राधे
ReplyDeleteरचना आप के मन को छू सकी सुन ख़ुशी हुयी आभार
भ्रमर ५
आदरणीय धीरेन्द्र जी जय श्री राधे
ReplyDeleteरचना आप के मन को छू सकी लिखना सार्थक रहा आभार
भ्रमर ५
आदरणीया पल्लवी जी रचना के गहन भाव आप के मन को छू सके और बुढ़ापे का दर्द आप ने समझा मन अभिभूत हुआ ..जय श्री राधे
ReplyDeleteभ्रमर ५
आदरणीया डॉ मोनिका जी रचना संवेदनशील लगी सुन मन अभिभूत हुआ ..जय श्री राधे
ReplyDeleteआदरणीया डॉ संध्या तिवारी जी रचना मार्मिक लगी और इस बूढ़े का दर्द उभरा लिखना सार्थक रहा आभार आप का प्रोत्साहन हेतु ..जय श्री राधे
ReplyDeleteभ्रमर ५
आदरणीया राजेश कुमारी जी सत्य वचन आप के ...काश लोग ये समझें की एक दिन उनके ऊपर भी ये बुढ़ापा असर करेगा ... आभार आप का प्रोत्साहन हेतु ..जय श्री राधे
ReplyDeleteभ्रमर ५