BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Thursday, June 28, 2012

कितने अच्छे लोग हमारे


कितने अच्छे लोग हमारे
—————————-
JB971949
कितने अच्छे लोग हमारे
भूखे-प्यासे -नंगे घूमें
लिए कटोरा फिरें रात-दिन
जीर्ण -शीर्ण – सपने पा जाएँ
जूठन पा भी खुश हो जाते
जीर्ण वसन से झांक -झांक कर
कोई कुमुदिनी गदरायी सी
यौवन की मदिरा छलकी सी
उन्हें कभी खुश जो कर देती
पा जाती है कुछ कौड़ी तो
शिशु जनती-पालन भी करती
(photo from google/net with thanks)



‘प्रस्तर’ करती काल – क्रूर से
लड़-भिड़ कल ‘संसार’ रचेंगे
समता होगी ममता होगी
भूख – नहीं- व्याकुलता होगी
लेकिन ‘प्रस्तर’ काल बने ये
बड़े नुकीले छाती गड़ते
आँखों में रोड़े सा चुभ – चुभ
निशि -दिन बड़ा रुलाया करते
दूर हुए महलों में बस कर
भूल गए – माँ – का बलि होना
रोना-भूखा सोना – सारा बना खिलौना
कितने अच्छे लोग हमारे
नहीं टूट पड़ते ‘महलों’ में
ये ‘दधीचि’ की हड्डी से हैं
इनकी ‘काट’ नहीं है कोई
जो ‘टिड्डी’ से टूट पड़ें तो
नहीं ‘सुरक्षित’ – बचे न कोई
नमन तुम्हे है हे ! ‘कंकालों’
पुआ – मलाई वे खाते हैं
‘जूठन’ कब तक तुम खाओगे ??
कितनी ‘व्यथा’ भरे जाओगे ??
फट जाएगी ‘छाती’ तेरी
‘दावानल’ कल फूट पड़ेगा
अभी जला लो – झुलसा लो कुछ
काहे सब कल राख करोगे ?
अश्रु गिरा कुछ अभी मना लो
प्रलय बने कल ‘काल’ बनोगे ??
——————————————-
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल ‘भ्रमर ‘५
४-४.४५ मध्याह्न
३१.५.२०१२ कुल्लू यच पी






दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

9 comments:

  1. मार्मिक प्रस्तुति |
    कैसे कोई नकारे -
    हकीकत है यही |
    आभार ||

    ReplyDelete
  2. धीरेन्द्र जी रचना की प्रस्तुति अच्छी लगी सुन ख़ुशी हुयी

    भ्रमर ५
    आभार
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

    ReplyDelete
  3. प्रिय रविकर जी रचना कुछ हकीकत दर्शा सकी सुन हर्ष हुआ धन्यवाद समर्थन हेतु

    भ्रमर ५
    आभार
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

    ReplyDelete
  4. gambheer sachet karti hui shasakt karteee shandaar rachna..anand aa gaye padhkar...sadar badhayee aaur sadar amantran ke sath

    ReplyDelete
  5. बहुत गहन एवं मार्मिक अभिव्यक्ति...

    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  6. हकीकत वयान एक मार्मिक अभिव्यक्ति..

    ReplyDelete
  7. आदरणीय डॉ मिश्र जी ...रचना आप के मन को छू सकी और गहन भाव आप ने देखे इसमें काश लोग भी जागरूक हों - .....जय श्री राधे
    आभार
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  8. आदरणीया अनु जी रचना की मार्मिक अभिव्यक्ति आप के मन को छू सकी सुन ख़ुशी हुयी सच में ये विषमता और दर्द दिल को हिला देती है - .....जय श्री राधे
    आभार
    भ्रमर ५

    ReplyDelete

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५