BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Friday, April 22, 2022

धरती मां का ये ही प्यार

धरती मां का ये ही प्यार
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बिन आधार कहां हम रहते
शून्य में क्या हम सदा विचरते
स्थिर मन मस्तिष्क से रचते
नित नूतन नव जग व्यवहार
धरती मां का ये ही प्यार
भुला सके कैसे संसार।
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बीज छिपाए गर्भ में रखती
लेखा जोखा समय देखकर
अंकुर पादप पेड़ फूल फल
सांसे जीवन सब कुछ देती
धरती मां का ये ही प्यार
भुला सके कैसे संसार।
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धरती खुद फंगस से जुड़कर
अपनी बुद्धि का करे प्रयोग
तरु पादप हर जीव पालती
देती विविध तरह संदेश
धरती मां का ये ही प्यार
भुला सके कैसे संसार।
***



फोटो सिंथेसिस से जुड़कर
पौधे जीवित देते सांस
पर्वत झरने नदियां जंगल
पक्षी फूल सभी हैं साथ
धरती मां का ये ही प्यार
भुला सके कैसे संसार।
***
खनिज सम्पदा रत्न व भोजन
कर्म तुम्हारे अवनि वारे
क्षिति जल पावक गगन हवा में
पंच तत्व के सभी सहारे
धरती मां का ये ही प्यार
भुला सके कैसे संसार।
***
कभी उर्वरक कभी उर्वरा 
कूड़ा कचड़ा पाप नासती
जहर धुआं प्लास्टिक से रूष्ट हो
उलट पलट कर हमें चेताती
धरती मां का ये ही प्यार
भुला सके कैसे संसार।
***
आओ जागें चेतें जुड़कर
इस वसुन्धरा को हम पढ़ लें
इन प्यारे उपहार के बदले
धरा बचाने का हम प्रण लें
धरती मां गुरु का ये प्यार
भुला सके कैसे संसार??
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत।

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५