BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Sunday, April 10, 2022

दौड़ आंचल तेरे जब मैं छुप जाता था


रूपसी थी कभी चांद सी तू खिली
ओढ़े घूंघट में तू माथे सूरज लिए
नैन करुणा भरे ज्योति जीवन लिए
स्वर्ण आभा चमक चांदनी से सजी
गोल पृथ्वी झुलाती जहां नाथती
तेरे अधरों पे खुशियां रही नाचती
घोल मधु तू सरस बोल थी बोलती
नाचते मोर कलियां थी पर खोलती
फूल खिल जाते थे कूजते थे बिहग
माथ मेरे फिराती थी तू तेरा कर
लौट आता था सपनों से ए मां मेरी 
मिलती जन्नत खुशी तेरी आंखों भरी 
दौड़ आंचल तेरे जब मै छुप जाता था
क्या कहूं कितना सारा मै सुख पाता था
मोहिनी मूर्ति ममता की दिल आज भी
क्या कभी भूल सकता है संसार भी
गीत तू साज तू मेरा संगीत भी
शब्द वाणी मेरी पंख परवाज़ भी
नैन तू दृश्य तू शस्त्र भी ढाल भी
जिसने जीवन दिया पालती पोषती
नीर सी क्षीर सी अंग सारे बसी
 आई माई मेरी अम्मा है प्राण सी

सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

11 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 11 अप्रैल 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    ReplyDelete
  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार 11 अप्रैल 2022 ) को 'संसद के दरवाज़े लाखों चेहरे खड़े उदास' (चर्चा अंक 4397) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका रवींद्र भाई , मां के प्रेम में सिक्त इस रचना को आपने मन दिया चर्चा मंच पर स्थान दिया खुशी हुई। राधे राधे।

      Delete
  3. क्या बात है!! माँ के लिए बहुत ही आत्मीयता से भरे स्नेहिल उद्गार 👌👌बहुत सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार और शुभकामनायें।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आप का आदरणीया , मां की ममता भरी इस रचना को आप ने सराहा खुशी हुई राधे राधे।

      Delete
  4. बहुत सुंदर भावों से सजी सुंदर रचना।
    बहुत शुभकामनाएं ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आप का आदरणीया , मां की ममता भरी इस रचना को आप ने सराहा खुशी हुई राधे राधे।

      Delete
  5. माँ के प्रति श्रधेय भाव ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आप का आदरणीया , मां की ममता भरी इस रचना को आप ने सराहा खुशी हुई राधे राधे। प्रोत्साहन बनाए रखें।

      Delete
  6. नैन तू दृश्य तू शस्त्र भी ढाल भी
    जिसने जीवन दिया पालती पोषती
    नीर सी क्षीर सी अंग सारे बसी
    आई माई मेरी अम्मा है प्राण सी
    बहुत ही लाजवाब सृजन माँ के नाम
    वाह!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आप का आदरणीया , मां की ममता भरी रचना की इन पंक्तियों को आप ने सराहा खुशी हुई राधे राधे।

      Delete

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५