BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Saturday, October 9, 2021

उठा पटक बस टांग खींच ले




तुमने सोचा उड़ लेता हूं
ऊंचे ऊंचे हूं आकाश मेंr
ऊंचे उड़ते बहुत जीव हैं
सगे संबंधी हूं प्रकाश में
......
नही जानते कुछ ऐसे भी
घात लगाए बस उड़ान में
जितना भी मजबूत घोंसला
घात लगाए सदा ताक में
.......
पंख का ऊपर नीचे होना
चारे का धरती पर होना
मत भूलो उड़ उड़ कर जीना
पल छिन का कमजोर खिलौना
.......
छापामार लड़ाई अब तो
फन में माहिर कई गोरिल्ला
शंख बजे ना नियम ताक पे
ना अंधियारा लाल न पीला
..........
उठा पटक बस टांग खींच ले
चित चाहे जैसे भी कर दो
लोग हजारों साथ हैं तेरे
जब चाहो तब दंगल जीतो
.......
सच्चाई भी दब जाती है
भीड़ की मार बहुत जालिम है
झूंठ चिढ़ाते मुंह घूमे फिर
शान्ति द्रौपदी की मानिंद है
.......
सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश 
भारत।



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

1 comment:

  1. सुंदर, सार्थक रचना !........
    Mere Blog Par Aapka Swagat Hai.

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५