BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Friday, March 19, 2021

गांव की गोरी ने लूट लिया तन मन

गांव की गोरी ने लूट लिया तन मन
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आम्र मंजरी बौराए तन देख देख के
बौराया मेरा निश्च्छल मन
फूटा अंकुर कोंपल फूटी
टूटे तारों से झंकृत हो आया फिर से मन
कोयल कूकी बुलबुल झूली
सरसों फूली मधुवन महका मेरा मन
छुयी मुई सी नशा नैन का 
यादों वादों का झूला वो फूला मन
हंसती और लजाती छुपती बदली जैसी
सोच बसंती सिहर उठे है कोमल मन
लगता कोई जोह रही विरहन है बादल को
पथराई आंखे हैं चातक सी ले चितवन
फूट पड़े गीत कोई अधरों पे कोई छुवन
कलियों से खेल खेल पुलकित हो आज भ्रमर
मादक सी गंध है होली के रंग लिए
कान्हा को खींच रही प्यार पगी ग्वालन
पीपल है पनघट है घुंघरू की छमछम से
गांव की गोरी ने लूट लिया तन मन
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सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश भारत
19.3.2021



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५