BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Thursday, March 11, 2021

हैं बुलंद हौंसले हमारे

हैं बुलंद हौंसले हमारे
पंखों में है जान
थाह लेे रहे ग्रह नक्षत्र की
ऊंची बहुत उड़ान
योग ध्यान से सांस रोकते
बनी अजब पहचान
मिल आते पल में हर दिल से
हर दिल अपनी जान
शान्ति प्रेम का पाठ पढ़ाते
ऋषि मुनि बने महान
विश्व गुरु बनना है निश्चित 
मन में बैठे ठान
टेलीपैथी ग्रह नक्षत्र की
ख़ाक रहे हैं छान
सूरज से कल आंख मिलाए
चंदा से पहचान
स्वर्ग नर्क पाताल रसातल
रचें ग्रन्थ दिनमान
डूब डूब अंतर्मन में हम
फूंक रहे हैं जान
वीर धीर हम तेज प्रबल हैं
अणु कण से पहचान
आओ हाथ मिला हम लिख दें
भारत सदा महान
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सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
उत्तरप्रदेश, भारत
12.3.2021


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

4 comments:

  1. हौसलों की उड़ान मंजिल तक पहुंचा ही देती है एक न एक दिन

    बहुत सुन्दर

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  2. हार्दिक आभार कविता जी, रचना को मान दिया आप ने खुशी हुई

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  3. हार्दिक आभार मनोज जी प्रोत्साहन के लिए, राधे राधे

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५