BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Friday, December 11, 2020

कितना सुन्दर चमन हमारा


कितना सुन्दर चमन हमारा
स्वर्ग सरीखा जग में न्यारा
कौन प्रेम की छांव पला ना
पल पल दिल सुलगाते हैं 
शूली पर चढ़ जाते हैं ?

आस्तीन के सांप भरे हैं
दो मुहवे दिन रात छले हैं
गीदड़ से मौका जब पाते
हमला कर हैं जाति दिखाते
मां की आंखों में अंगारे भर
शूली फिर चढ़ जाते हैं

कितनी कोख उजाड़ दिए हैं
पोंछ दिए सिंदूर मांग से
कितनी राखी रक्षा टूटी
विलखें मां नित क्रूर काल से
देव - दनुज बन जाते कैसे
शूली क्यों चढ़ जाते हैं

मां की आंखों के आंसू से
सुन्दर धरा न ये बह जाए
मूर्ति गढ़ी जो प्रीति प्यार की
छिन्न भिन्न हो जल ना जाए
डर लगता है , आओ भाई !
लौट चलें हम नेक राह में
शूली चढ़ने से बच जाएं ।


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५