साहित्य शारदा मंच( खटीमा उत्तराखंड ) -शब्दों के दंगल से उद्धृत -रविकर जी को सम्मान ]
प्रिय मित्रों ये सूचित करते बहुत हर्ष हो रहा है की हम सब के परम प्रिय रविकर जी की साहित्यिक सक्रियता को और भी निखारने के लिए और यादगार बनाने के लिए सम्माननीय डॉ श्री रूप चन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी के द्वारा एक कवि गोष्ठी आयोजित हुयी जिसमे बहुत से प्यारे कवि वृन्द और लेखक शामिल हुए और सब ने इस पल को अपनी कृतियों से नवाज कर यादगार बना दिया
विस्तृत रूप से आप इसे 'शब्दों के दंगल' में पढ़ पायेंगे ...http://uchcharandangal.blogspot.in
प्रिय रविकर जी को डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" जी ने अपनी 4 पुस्तकें भेट की और मंच के सर्वोच्च सम्मान "साहित्यश्री" से अलंकृत किया।
तथा ब्लॉगिस्तान में इनकी सक्रियता को देखते हुए "ब्लॉगश्री" के सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
सम्माननीय रविकर जी बड़े ही सक्रिय हैं, मिलनसार हैं, होनहार हैं ..चर्चा मंच पर साहित्य प्रसार हेतु जब से आये समां ही बाँध दिया आप सब के साथ ..उनकी वाणी और लेखनी में सदा सरस्वती जी यों ही विराजमान रहें , एक बार जो उनसे मिला या परिचित हुआ फिर भूला कहाँ ....
जय श्री राधे
हम एतद्वारा परम आदरणीय रविकर जी को हार्दिक बधाई देते हैं और साथ ही उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं
डॉ शास्त्री जी और अन्य सभी मित्रों को
इस तरह के अनूठे आयोजन के लिए बधाई और आभार
आइये हिंदी साहित्य पर यों ही लुटाते रहें अपना भरपूर प्यार !
रवि उगता रहे यों गगन पर फिरे तो उजाला बढे
कीर्ति निशि दिन सुगन्धित हो हर मन बसे
फूल के संग भौंरे (भ्रमर) भी मंडराएं दुलराएँ हंस पाए
जग अनूठा बने दोस्ती हर निभे .... दिल ये खिल जाए
भ्रमर 5
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
आदरणीय शास्त्री जी बहुत सुन्दर लगा ये गोष्ठी देख.इस तरह के आयोजन से मन खिल जाता है ..आप को और रविकर जी के साथ सारे प्यारे मित्रों को ढेर सारी शुभ कामनाएं
ReplyDeleteरविकर जी बड़े ही सक्रिय हैं मिलनसार हैं ..चर्चा मंच पर जब से आये समां ही बाँध दिया आप सब के साथ ..उनकी वाणी और लेखनी में सदा सरस्वती जी यों ही विराजमान रहें , एक बार जो उनसे मिला या परिचित हुआ फिर भूला कहाँ ....
जय श्री राधे
भ्रमर ५
रविकर जी के सम्मान का उत्कृष्ट सम्प्रेषण,,
ReplyDeleteRECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,
धन्य धन्य रविकर हुआ, मित्रो का आभार ।
ReplyDeleteप्रेम पाय के आपका, हर्षित हुआ अपार ।
bahut bahut dhanyavad badhayiyan ji yun hi kadam aage badhate rahen ...
ReplyDeleteआदरणीय उदयवीर जी आभार आप का आइये हम गुनी जन का सदा सम्मान करते अपना योगदान देते रहें .....
ReplyDeleteभ्रमर ५
आदरणीय धीरेन्द्र जी आभार आप का आइये हम सब मिल कर साहित्य साधक और साहित्य साधना को बल देते रहें
ReplyDeleteभ्रमर ५
आदरणीय रविकर जी अपना स्नेह और सुझाव देते हमेशा मन में बने रहें यों ही जय श्री राधे
ReplyDeleteभ्रमर ५
बेहतर प्रस्तुति
ReplyDeleteडॉ राम कुमार जी अभिन्दन आप का यहाँ ....अपना स्नेह बनाये रखें ...प्रोतसाहन के लिए आभार
ReplyDeleteभ्रमर ५
रविकर जी की उत्कृष्ट रचनाओं की मैं भी फेन हूँ।
ReplyDeleteदिव्या जी सुनकर बहुत अच्छा लगा साहित्य के प्रचार प्रसार के लिए अच्छी चीजों और लोगों को प्रोत्साहन देना बहुत जरुरी है ..आभार
ReplyDeleteभ्रमर ५
ravikar ji kya kaehne hai ji ......fan hai sab unke
ReplyDeleteसंजय भाई जो शीतल रखे सब को ..उसको ये सब मिलाना ही चाहिए ..आइये ये उम्मीद करें की वे हमारे हिंदी जगत के लिए यों ही रत रहें ...
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
आपका आभार, भ्रमर जी!
ReplyDeleteआदरणीय शास्त्री जी आप का बहुत बहुत आभार , इस उम्र में आप का ये जोशो खरोश साहित्य के लिए इतनी मेहनत काविले तारीफ और सराहनीय है ..आभार की जगह अपना ,आशीष , स्नेह और सुझाव सदा बनाये रखें ..
ReplyDeleteभ्रमर ५