लक्ष्मण रेखा
————————
————————
वही तन वही मन
खूबसूरत -प्रेम प्यार
बीस की दहलीज पार
अंगारों से भरी राह
बेचैनी आह
पाँव जल जायेंगे
उधर मत जाना
ये मत करना
वो मत करना
लक्ष्मण रेखा
खींच दी गयी थी
तितली सी उडती -दौड़ती
उस बगिया में जाना
उस पेड़ -लता से चिपक जाना
घंटों बतियाना उससे
बहुत कचोटता था अब मन को
दिल में उफान हाहाकार !
छोटी सी नदिया
तब -बाँधी जा सकती थी
जब छोड़ दी गयी थी उन्मुक्त
अब बाढ़ आ चुकी थी
उछ्रिन्खल-जोश -जोर
हहर-हहर बार बार उफनती
शांत होती ..
कुछ कीचड़ कुछ फूल
संगी -साथी
सब बहा जा रहा था
तेज गति से
न जाने कब तक
ये बंधन ये बाँध
अब इससे लड़ पायेगा -
बांधे रहेगा ?
कभी न कभी
आज नहीं तो कल ये
टूट जाएगा …….
और
सरिता -सागर के आगोश में
पुरजोर दौड़ लगा
खो जायेगी !
——————
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
३.४६-४.०२ पूर्वाह्न
कुल्लू यच पी १३.०२.२०१२
खूबसूरत -प्रेम प्यार
बीस की दहलीज पार
अंगारों से भरी राह
बेचैनी आह
पाँव जल जायेंगे
उधर मत जाना
ये मत करना
वो मत करना
लक्ष्मण रेखा
खींच दी गयी थी
तितली सी उडती -दौड़ती
उस बगिया में जाना
उस पेड़ -लता से चिपक जाना
घंटों बतियाना उससे
बहुत कचोटता था अब मन को
दिल में उफान हाहाकार !
छोटी सी नदिया
तब -बाँधी जा सकती थी
जब छोड़ दी गयी थी उन्मुक्त
अब बाढ़ आ चुकी थी
उछ्रिन्खल-जोश -जोर
हहर-हहर बार बार उफनती
शांत होती ..
कुछ कीचड़ कुछ फूल
संगी -साथी
सब बहा जा रहा था
तेज गति से
न जाने कब तक
ये बंधन ये बाँध
अब इससे लड़ पायेगा -
बांधे रहेगा ?
कभी न कभी
आज नहीं तो कल ये
टूट जाएगा …….
और
सरिता -सागर के आगोश में
पुरजोर दौड़ लगा
खो जायेगी !
——————
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
३.४६-४.०२ पूर्वाह्न
कुल्लू यच पी १३.०२.२०१२
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
बहुत सुन्दर रचना ...वाह
ReplyDeleteवाह ,,,,, बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,
इस लक्ष्मण रेखा को पार जाने में कठिनाई ही है।
ReplyDeleteबहुत शानदार प्रस्तुति |
ReplyDeleteआशा
सुन्दर बिम्बों के साथ बोलती रचना...
ReplyDeleteसादर.
वही तन वही मन
ReplyDeleteखूबसूरत -प्रेम प्यार
बीस की दहलीज पार
अंगारों से भरी राह
बेचैनी आह
पाँव जल जायेंगे
उधर मत जाना
ये मत करना
वो मत करना
लक्ष्मण रेखा
खींच दी गयी थी
सुंदर रचना,,,,,
RECENT POST ,,,, काव्यान्जलि ,,,, अकेलापन ,,,,
आदरणीय राजेश कुमारी जी आशा जी और आदरणीय धीरेन्द्र जी मनोज जी और मिश्र हबीब जी आप सब का हार्दिक आभार प्रोत्साहन हेतु ..
ReplyDeleteजय श्री राधे
भ्रमर ५
मन के सुन्दर उद्गारों को सुन्दर शब्दो मे माध्यम से प्रस्तुत करती हुई सुन्दर रचना
ReplyDeleteआभार
लक्ष्मण रेखा..अंतहीन खींची हुई... अति सुन्दर लिखा है..
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण रचना |
ReplyDeleteआशा