BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Wednesday, May 2, 2012

ईश्वर-१ (कड़ी -2)


ईश्वर-१  (कड़ी -2)

वो ही हन्ता वही नियंता
भू -रज -कण जल में
माया मोह जुगुप्सा इच्छा
काम क्रोध है लोभ सभी के मन में !
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वो चिन्तन है वो अचिन्त्य है
लभ्य वही है वो अलभ्य है
बुद्धि विवेक ज्ञान गुण तर्पण
ब्रह्म नियामक  दिव्य तेज है
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निर्गुण सगुण जीव जड़ जंगम
प्रेम सुधा करुना रस घट है
झरना सरिता गिरि कानन है
वो अथाह सागर है
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आदि शक्ति है अन्वेषी सचराचर है
उल्का धूम-केतु गढ़ नक्षत्र है
भक्ति यही वैराग्य यही है
अचल सचल रफ़्तार यही है
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नीति नियम आदर्श मूल्य ये
बड़ा अपरिमिति अगणित रहस्य है
प्राण वायु घट-घट में व्यापित
गति विराम कारक प्रेरक है
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यही अजन्मा ये अमर्त्य है
परे बुद्धि के सब -समर्थ है
मै अज्ञानी मूढ़ सकूं ना सोच तुझे जगदीश्वर
दशों दिशाओं जित देखूं मै ईश्वर ईश्वर !
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मानव हूँ मन ही भरमू  बस
ये जीवन तन -मन अर्पण सब
मन मष्तिष्क में ज्योति बना रह
सूक्ष्म जगत या सूक्ष्म मिलाकर !
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दृग जो देखे मन जो सोचे
लाख चौरासी योनी भटक जो खोज करे
तुम बिन हे ! प्रभु  ईश्वर मेरे
आस्तिक -नास्तिक खोज कहीं कब क्या है पाए
माया मोह के उलझन उलझा घूमे लौटे
पंछी सा उड़ -उड़ जब हारे इसी "नाव" फिर आये
27.04.2012- 6.00-7 poorvahn-kullu h p 


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

8 comments:

  1. माया मोह के उलझन उलझा घूमे लौटे
    पंछी सा उड़उड़ जब हारे इसी"नाव"फिर आये,

    बहुत बढ़िया भावपूर्ण सुंदर प्रस्तुति, भ्रमर जी,बधाई

    MY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....

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  2. बहुत बढ़िया!
    --
    आज चार दिनों बाद नेट पर आना हुआ है। अतः केवल उऊपस्थिति ही दर्ज करा रहा हूँ!

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  3. शास्त्री जी आभार आप का .आप का आना बहुत सुख दे जाता है ये कहाँ कम है .आइये प्रभु का गुणगान करते बढे चलें ...भ्रमर ५

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  4. प्रिय धीरेन्द्र जी आभार आप का .रचना पसंद आई सुन ख़ुशी हुयी .आइये प्रभु का गुणगान करते बढे चलें ...भ्रमर ५

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  5. आदरणीय रजनी जी आभार आप का .प्रभु में सारी दुनिया तो बसी ही हुयी है ...रचना पसंद आई सुन ख़ुशी हुयी .आइये प्रभु का गुणगान करते बढे चलें ...भ्रमर ५

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  6. जीवन की वो सर्वशक्तिमान ही धुरी है

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  7. डॉ मोनिका जी सटीक और सत्य वचन आप के वो परमेश्वर ही इस जीवन की धुरी है ...जगदीश्वर है ..आभार
    भ्रमर ५

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५